'मॉब लिंचिंग पर फांसी की सजा' आपराधिक कानूनों से जुड़े तीनों बिल राज्यसभा में पास

रईश खान | Updated:Dec 21, 2023, 09:07 PM IST

Home Minister Amit Shah

Bharatiya Nyaya Sanhita: आपराधिक कानूनों में आतंकवाद, महिला विरोधी अपराध, देश द्रोह और मॉब लिंचिंग से संबधित नए प्रावधान पेश किए गए. यह बिल ऐसे समय में पास हुए, जब संसद से विपक्ष के 143 सांसदों को निलंबित हो चुके हैं.

डीएनए हिंदी: संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान बुधवार को लोकसभा में आपराधिक कानूनों से जुड़े तीन बिल पास हो गए. इसके बाद गुरुवार को ये तीनों नए कानून राज्यसभा में पास हो गए. अब इन्हें मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. उनकी मंजूरी मिलते ही ये तीनों बिल कानून बन जाएंगे. बिल पास होते ही राज्यसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया. सदन ने लंबी चर्चा और गृहमंत्री अमित शाह के विस्तृत जवाब के बाद भारतीय न्याय संहिता (BNS) विधेयक, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) विधेयक, 2023 और भारतीय साक्ष्य (BS) विधेयक, 2023 को ध्वनमित से अपनी स्वीकृति दी. ये तीनों विधेयक भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860 दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) 1898 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 के स्थान पर लाए गए हैं.

बुधवार को इन विधेयकों पर चर्चा का जवाब देते हुए लोकसभा में अमित शाह ने कहा कि व्यक्ति की स्वतंत्रता, मानवाधिकार और सबके साथ समान व्यवहार रूपी तीन सिद्धांत के आधार पर ये प्रस्तावित कानून लाए गए हैं. प्रस्तावित कानूनों में मॉब लिंचिंग के अपराध के लिए फांसी की सजा का प्रावधान होगा. गृहमंत्री ने कहा कि आपराधिक न्याय प्रणाली में आमूल-चूल बदलाव किया जा रहा है, जो भारत की जनता का हित करने वाले हैं.

शाह ने कहा कि इन विधेयकों के माध्यम से सरकार ने तीनों आपराधिक कानूनों को गुलामी की मानसिकता से मुक्त कराया है. पहले के कानूनों के तहत ब्रिटिश राज की सलामती प्राथमिकता थी, अब मानव सुरक्षा, देश की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है. उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक सदन में करीब 150 साल पुराने तीन कानून, जिनसे हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली चलती है, उनमें पहली बार मोदी जी के नेतृत्व में भारतीयता, भारतीय संविधान और भारत की जनता की चिंता करने वाले बहुत आमूल-चूल परिवर्तन लेकर मैं आया हूं.’ 

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राजद्रोह को देशद्रोह में बदला
उन्होंने कहा कि आतंकवाद की व्याख्या अब तक किसी भी कानून में नहीं थी. पहली बार अब मोदी सरकार आतंकवाद की व्याख्या करने जा रही है. सरकार राजद्रोह को देशद्रोह में बदलने जा रही है. गृहमंत्री ने कहा कि गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों के बारे में अब हर पुलिस थाने में विवरण दर्ज किया जाएगा और एक नामित पुलिस अधिकारी इन रिकॉर्ड को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होगा. उन्होंने कहा कि तस्करी कानूनों को जेंडर-न्यूट्रल बनाया गया है. अमित शाह ने कहा कि हम राजद्रोह की जगह देशद्रोह लेकर आए हैं.

IPC ने राजद्रोह को सरकार के खिलाफ कार्य के रूप में परिभाषित किया था, लेकिन नए कानून बीएनएस में उन लोगों के लिए है, जो देश की संप्रभुता और सुरक्षा को प्रभावित करते हैं. अमित शहा ने कहा कि सरकार की आलोचना तो कोई भी कर सकता है, इसमें कोई जेल नहीं जाएगा. लेकिन अगर किसी ने देश के खिलाफ बोला तो उसके ऊपर देशद्रोह का लगाया जाएगा.

विपक्ष ने क्या कहा
एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने आपराधिक कानूनों की जगह सरकार द्वारा लाए गए तीन विधेयकों का विरोध करते हुए आरोप लगाया कि ये तीनों प्रस्तावित कानून सरकार के अपराधों को कानूनी शक्ल देने के लिए बनाए जा रहे हैं. शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि इस कानून में पुलिस को अत्यधिक अधिकार दिए गए हैं, जबकि लोगों में पुलिस राज का डर कम से कम होना चाहिए. 

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