डीएनए हिंदी: अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है. एक दिन में कई-कई लाख लोग रामलला के दर्शन करने पहुंच रहे हैं. प्रशासन को भी लोगों को संभालने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इसके चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट मंत्रियों को मार्च तक अयोध्या ना जाने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि इससे आम लोगों की परेशानी हो सकती है.
पीएम मोदी ने बुधवार को कैबिनेट बैठक के दौरान अपने सहयोगियों से कहा कि वह कम से कम मार्च तक अयोध्या का दौरा न करें. प्रधानमंत्री ने कहा कि रामलला के दर्शन के लिए भारी तादाद में लोग पहुंच रहे हैं. ऐसे में वीआईपी प्रोटोकॉल के कारण आम जनता को परेशान हो सकती है. इसलिए मेरा सुझाव है कि आप लोग मार्च में अयोध्या जाने का प्लान करें.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने की पीएम मोदी की प्रशंसा
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अयोध्या में राम मंदिर के सफल प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए पीएम मोदी की सराहना की और कहा कि लोगों द्वारा उनके प्रति दिखाए गए प्यार और स्नेह ने उन्हें जन नायक के रूप में स्थापित किया है. केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा पढ़े गए एक प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि राम मंदिर के लिए जन आंदोलन ने एक नया विमर्श शुरू किया और मोदी को एक नए युग का अग्रदूत बताया.
प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में 22 जनवरी को संपन्न कार्यक्रम में अयोध्या के नवनिर्मित राम जन्मभूमि मंदिर के गर्भगृह में श्री रामलला के नवीन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की गई. प्रस्ताव में कहा गया, 'हम कह सकते हैं कि 1947 में इस देश का शरीर स्वतंत्र हुआ था और अब इसमें आत्मा की प्राण-प्रतिष्ठा हुई है. प्रधानमंत्री जी जनता का जितना स्नेह आपको मिला है उसे देखते हुए आप जननायक तो हैं ही, परन्तु अब इस नए युग के प्रवर्तन के बाद, आप नवयुग प्रवर्तक के रूप में भी सामने आए हैं.'
रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में भाग लेने वाले एक केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह पूरे मंत्रिमंडल के लिए एक भावनात्मक क्षण था क्योंकि वे उस मंत्रिपरिषद का हिस्सा बनकर धन्य महसूस कर रहे थे जो राम मंदिर में 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह की गवाह है. बैठक में पढ़े गए प्रस्ताव में कहा गया, 'यह मंदिर 1,000 साल तक टिकने के लिए बनाया गया है. इसके जरिए 1000 वर्षों के लिए नए भारत को दिशा देने का काम किया गया है. इसीलिए आज की इस कैबिनेट को यदि सहस्त्राब्दि की कैबिनेट यानि ‘कैबिनेट ऑफ मिलेनियम’ भी कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी.
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