स्वामी रामभद्राचार्य ने मुस्लिम जज के सामने दिया था राम के जन्म का प्रमाण, जानें पूरा किस्सा

Written By कविता मिश्रा | Updated: Jan 21, 2024, 05:55 PM IST

 

Swami Rambhadracharya

Swami Rambhadracharya: अयोध्या में रामलला प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की तैयारियां अंतिम चरण पर हैं. इस बीच हम आपको राम मंदिर आंदोलन में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाने वाले जगद्गुरु स्‍वामी रामभद्राचार्य का एक किस्सा बताएंगे.

डीएनए हिंदी: अयोध्या में सोमवार (22 जनवरी) को भगवान रामलला का प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. इस प्राण प्रतिष्ठा के बाद आम लोग भी राम मंदिर के दर्शन कर सकेंगे. इस बीच राम मंदिर को अंदर से बेहद ही शानदार तरीके से सजाया गया है, जो कि मन मोह लेने वाला है. प्रभु राम की जन्मस्थली पर राम मंदिर बनाया जाए, इसके लिए कई पीढ़ियों ने कोशिश की है. अब जाकर राम मंदिर का सपना साकार होने वाला है. कई वर्षों तक सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर बहस चली, जिसके बाद प्रभु राम की जन्मभूमि पर मंदिर बनाने का अधिकार हासिल हुआ. आज हम आपको स्वामी रामभद्राचार्य के बारे में बताएंगे, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में राम के जन्म के प्रमाण दिए थे. 

राम मंदिर आंदोलन में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाने वाले जगद्गुरु स्‍वामी रामभद्राचार्य का एक वीडियो पिछले दिनों काफी वायरल हो रही थी. जिसमें उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने  राम के जन्म का प्रमाण दिया था. आपको बता दें कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद में उनकी गवाही सुर्खियां बनी थीं. वेद-पुराणों के उद्धहरणों के साथ उनकी गवाही का कोर्ट भी कायल हो गया था. श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में वे वादी के तौर पर उपस्थित हुए थेद्ध ऋग्वेद की जैमिनीय संहिता से उन्होंने उद्धहरण दिया था.

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स्वामी रामभद्राचार्य ने सुप्रीम कोर्ट में दिया था ऐसा जवाब 

स्‍वामी रामभद्राचार्य से मुस्लिम जज ने पूछा कि क्‍या प्रभु राम के जन्‍म का प्रमाण किसी वेद में है क्‍या? तब स्‍वामी रामभद्राचार्य ने बताया कि अथर्ववेद के दशम कांड के 31वें अनु वाक्य के द्वितीय मंत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि 8 चक्रों व नौ प्रमुख द्वार वाली श्री अयोध्या देवताओं की पुरी है. उसी अयोध्या में मंदिर महल है. उसमें परमात्मा स्वर्ग लोक से आए. इसके साथ ही यह भी लिखा है कि प्रभु राम के जन्‍मस्‍थान से 300 धनुष की दूरी पर सरयू नदी बहती है. कार्ट में इसके बाद जैमिनीय संहिता मंगाई गई, उसमें जगद्गुरु ने जिन उद्धहरणों का जिक्र किया था. उसे खोलकर देखा गया। सभी विवरण सही पाए गए. जिस स्थान पर श्रीराम जन्मभूमि की स्थिति बताई गई, विवादित स्थल ठीक उसी स्थान पर पाया गया. यह सब देखने के बाद सभी चकित रह गए थे. 

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कौन हैं स्वामी रामभद्राचार्य 

गद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी महाराज जब केवल 2 माह के थे, तब उनके आंखों की रोशनी चली गई थी. कहा जाता है कि, उनकी आंखें ट्रेकोमा से संक्रमित हो गई थी.जगद्गुरु पढ़-लिख नहीं सकते हैं और न ही ब्रेल लिपि का प्रयोग करते हैं. केवल सुनकर ही वे सीखते हैं और बोलकर अपनी रचनाएं लिखवाते हैं. नेत्रहीन होने के बावजूद भी उन्हें 22 भाषाओं का ज्ञान प्राप्त है और उन्होंने 80 ग्रंथों की रचना की है.जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी रामानंद संप्रदाय के वर्तमान में चार जगद्गुर रामानन्दाचार्यों में से एक हैं. इस पद पर वे 1988 से प्रतिष्ठित हैं. 

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