कौन हैं रामलला के फोटोग्राफर केदार जैन, जिनको CBI ने बनाया था गवाह

Written By कविता मिश्रा | Updated: Jan 14, 2024, 10:26 PM IST

राम मंदिर. 

Ram Lalla's photographer Kedar Jain: श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 22 जनवरी को दोपहर में राम मंदिर के गर्भगृह में राम लला को विराजमान करने का निर्णय लिया है. इस बीच हम आपको रामलला के फोटोग्राफर केदार जैन की कहानी बताएंगे.

डीएनए हिंदी: अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. 500 साल बाद रामलला अपने भव्य दिव्य मंदिर में विराजमान होने जा रहे हैं. पीएम नरेंद्र मोदी राम मंदिर का उद्घाटन करेंगे, जिसके लिए सभी तैयारियां आखिरी चरणों में हैं. ऐसे में हम आपको रामलला के फोटोग्राफर केदार जैन के बारे में बताएंगे, जिन्हें CBI ने मुख्य गवाह बनाया था. उन्होंने कारसेवकों को पूरा आंदोलन देखा था. उन्हें कोर्ट में रामलला के फोटोग्राफर के तौर पर बुलाए गए हैं. 

रामलला के कैमरामैन केदार जैन द्वारा खींची गई कुछ तस्वीरों के आधार पर को सीबीआई ने मुख्य गवाह बनाया था. वह लगातार हर पेशी पर जाते थे.अयोध्या कांड के लिए मुख्य गवाह के रूप में केदार जैन को कोर्ट में बुलाया गया था तो वह परेशान होकर नहीं बल्कि मुस्कारते हुए पहुंचे थे. जिसके पीछे का कारण था कि जब उन्हें कोर्ट में बुलाया जाता था तो केदार जैन के नाम से नहीं बल्कि उन्हें रामलला का फोटोग्राफर कहकर बुलाया जाता था. केदार जैन ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया था कि वे छह दिसंबर 1992 को कारसेवकों के साथ ग्वालियर से स्वतंत्र फोटोग्राफर के रूप में कवरेज के लिए गए थे. जहां चारों तरफ जनसमूह के अलावा और कुछ नजर ही नहीं आ रहा था. वहां पहुंचकर उन्होंने भगवान राम का फोटो खींची, जो ताले में बंद थे. 

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सबसे पहले गुबंद पर चढ़ने वाले व्यक्ति की तस्वीर की थी कैद

केदार जैन ने बताया है कि सभी पत्रकार कनक भवन पर खड़े थे, वह भी खड़े थे. उन्होंने बताया कि हमने ढांचे के गुंबद पर चढ़ने वाले पहले व्यक्ति की फोटो ली. फिर दूसरे व्यक्ति की फोटो ली. आंदोलन के दौरान कारसेवकों पर गोली चली और चारों तरफ भगदड़ मच गई थी. किसी तरह से वहां से मैं निकल पाया था क्योकि वहां पर लोग केवल भगा रहे थे और किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था. उन्होंने बताया कि इसके बाद वह ग्वालियर लौट आए थे.

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उस पल को नहीं भूले हैं केदार जैन 

उन्होंने बताया है कि राम जन्मभूमि के आसपास नेताओं की लाइन लगी हुई थी, वहां कारसेवक उग्र हो रहे थे. जिसके बाद वहां कारसेवकों ने चबूतरे का निर्माण कर भगवान रामलला को विराजमान किया, चबूतरे पर छोटा सा टेंट भी बना दिया. इन सभी पलों को अपने कैमरे में कैद कर रहे थे. उनका कहना है कि इन पलों को आज भी वह नहीं भूल पाए हैं. इस आंदोलन को कवर करके आने के बाद उन्हें सीबीआई का समन आया था, जिसे देखकर उनके मन में शंका हुई. इसके बाद केदार जैन को सीबीआई ने बुलाया, उनसे पूरी पूछताछ की गई. 

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