देश के मशहूर उद्योगपति रतन टाटा का 86 साल की उम्र में निधन हो गया है. उनके निधन पर पूरे देश की हस्तियों ने शोक जाहिर किया है. देश-विदेश में रहने वाले भारतीयों ने भी उनके निधन पर दुख जाहिर किया है. बताया जा रहा है कि रतन टाटा लंबे समय से बीमार चल रहे थे. 31 मार्च, 2024 तक टाटा ग्रुप का कुल मार्केट कैप 365 अरब डॉलर था.
जिंदगी में आए बडे़ कई उतार-चढ़ाव
लेकिन टाटा ग्रुप के लिए इस इस मुकाम तक यू हीं नहीं पहुंचा. टाटा ग्रुप के इस पहचान और इस जगह तक लाने के लिए रतन टाटा ने मजदूरों की तरह काम किया है. उनकी जिंदगी में कई ऐसे मोड़ भी जाए जिनसे घबरा कर लोग जीने का चाह छोड़ देते हैं. दरअसल बात 28 दिसंबर, 1937 की है, जब रतन टाटा के पिता नवल टाटा और मां सूनी टाटा 1948 में अलग हो गए थे. जिसके बाद उनकी दादी ने उन्हें पाल-पोस कर बड़ा किया.
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करना चाहते थे नौकारी
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद रतन टाटा अमेरिका में ही जॉब करना चाहते है, लकिन उनकी दादी की तबियत खराब होने लगी. इस वजह से उनको वापस भारत आना पड़ा. भारत आकर उन्होंने आईबीएम में नौकरी शुरू की थी. उस समय टाटा ग्रुप के चेयरमेन जेआरडी टाटा हुआ करते थे. रतन टाटा ने भारत आने के बाद टाटा ग्रुप में सीवी भेजा और एक मामूली कर्मचारी के तौर पर नौकरी ज्वाइन की.
मजदूरों की तरह किया काम
अपनी नौकरी के दौरान उन्होंने टाटा ग्रुप के कर्मचारियों के साथ मजदूरों की तरह काम किया और काम की बारीकियां को समझा. उन्होंने टाटा स्टील के प्लांट में चूना-पत्थर को भट्टियों में डालने का काम किया. रतन टाटा 1991 में टाटा ग्रुप के चेयरमैन बने और 21 साल तक पूरे ग्रुप का नेतृत्व किया.
हर घर में टाटा
आज टाटा ग्रुप नमके से लेकर प्लेन तक उड़ा रहा है. आप दिन भर में कभी-कभी ने एक-दो बार तो टाटा ग्रुप के किसी न किसी भी चीज का उपयोग करते होंगे. रतन टाटा की ही देन है कि आज भारत के घर-घर में टाटा का कोई न कोई प्रोडक्ट इस्तेमाल हो रहा है.
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