Ratan Tata: भारत के दिग्गज उद्योगपति और टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का मुंबई स्थित ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया. रतन टाटा का नाम सुनते ही सबसे पहले टाटा समूह की भव्य धरोहर और उसके शानदार इतिहास की छवि हमारे सामने आती है. रतन टाटा ने अपनी जिंदगी का अधिकांश समय मुंबई में ही बिताया, लेकिन झारखंड स्थित जमशेदपुर शहर, जिसे आज 'टाटानगर' के नाम से भी जाना जाता है, उनके जीवन और टाटा समूह के सफर का एक अहम हिस्सा रहा है.
औद्योगिक क्रांति का प्रतीक
झारखंड का जमशेदपुर शहर भारत के पहले औद्योगिक शहरों में से एक है. 1907 में जमशेदजी टाटा ने इस शहर की नींव रखी थी, जिसे तब 'साकची' नाम से जाना जाता था. जब उन्होंने यहां पर टाटा स्टील की फैक्ट्री की स्थापना की, तो किसी ने नहीं सोचा था कि यह छोटा सा गाँव आने वाले समय में भारत की औद्योगिक क्रांति का प्रतीक बनेगा. 1919 में लॉर्ड चेम्सफोर्ड ने जमशेदजी टाटा के योगदान और उनकी याद में इस शहर का नाम 'जमशेदपुर'कर दिया.
रतन टाटा का टाटानगर से जुड़ाव
रतन टाटा ने 2020 में पहली जमशेदपुर यात्रा के अनुभव को इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए साझा किया था. उन्होंने बताया कि कॉलेज की छुट्टियों के दौरान उन्होंने पहली बार जमशेदपुर का दौरा किया था, जब वे टाटा स्टील से सीधे तौर पर जुड़े भी नहीं थे. इस यात्रा ने उनके जीवन को गहराई से प्रभावित किया और वे अपने पूर्वजों के सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित हुए.
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टाटानगर का विकास
रतन टाटा के नेतृत्व में जमशेदपुर सिर्फ एक औद्योगिक शहर नहीं, बल्कि एक समृद्ध और स्वावलंबी समुदाय के रूप में विकसित हुआ. उन्होंने न केवल यहां की उत्पादन क्षमता और तकनीक को उन्नत किया, बल्कि शहर के कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए भी सभी मूलभूत सुविधाएं जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा और आवास उपलब्ध कराने की दिशा में कदम उठाए. जमशेदपुर के नागरिकों के लिए टाटा मेन हॉस्पिटल, टाटा एजुकेशन ट्रस्ट और टाटा मेमोरियल स्कूल जैसे संस्थान स्थापित कर उन्होंने समाज सेवा में भी अभूतपूर्व योगदान दिया. इसके अलावा, शहर के पर्यावरण संरक्षण, महिला सशक्तिकरण और हरियाली को बढ़ावा देने के लिए रतन टाटा ने कई पहल कीं, जिससे जमशेदपुर पूरे देश के लिए एक आदर्श मॉडल बन गया.
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नवरात्रि के दौरान टाटानगर में शोक की लहर
रतन टाटा के निधन की खबर मिलते ही टाटानगर में शोक की लहर दौड़ गई. नवरात्रि के पावन पर्व के दौरान भी पूरे शहर के पूजा पंडालों में सूनापन सा छा गया. टाटानगर के लोगों के लिए रतन टाटा एक मार्गदर्शक और प्रेरणास्रोत थे और उनका निधन शहर के लिए एक अपूरणीय क्षति है.
झारखंड सरकार ने किया एक दिन का राजकीय शोक का ऐलान
झारखंड सरकार ने रतन टाटा के सम्मान में पूरे राज्य में एक दिन के लिए राजकीय शोक का ऐलान किया है. इस दौरान राज्य के सभी सरकारी कार्यालयों और संस्थानों में झंडा आधा झुका रहेगा. जमशेदपुर के लोग आज भी रतन टाटा के योगदान और उनके दृष्टिकोण को सराहते हैं. उन्होंने टाटा समूह को न केवल वैश्विक ऊंचाइयों पर पहुंचाया बल्कि टाटानगर को भी एक सपनों का शहर बना दिया.
एक प्रेरणा स्रोत
रतन टाटा का योगदान केवल व्यापारिक सफलता तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्होंने यह भी दिखाया कि एक व्यवसायी अपने कर्मक्षेत्र से बाहर निकलकर समाज को भी बेहतर बना सकता है. जमशेदपुर के लोग आज भी उन्हें एक मार्गदर्शक के रूप में देखते हैं और उनकी सादगी और नेतृत्व क्षमता से प्रेरणा लेते हैं. उनके विचारों और कार्यों ने टाटानगर को एक ऐसी पहचान दी है, जिसे इतिहास में हमेशा एक आदर्श मॉडल के रूप में याद किया जाएगा. रतन टाटा की विरासत हमेशा जीवित रहेगी, और टाटानगर के लोग उन्हें कभी नहीं भूल पाएंगे। उनका नेतृत्व और समाज सेवा के प्रति समर्पण आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा.
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