डीएनए हिंदी: कभी नीतीश कुमार के 'हनुमान' कहे जाने वाले आरसीपी सिंह (RCP Singh) ने जनता दल यूनाइटेड (JDU) से इस्तीफा दे दिया है. कहा जा रहा है कि वह लंबे समय से पार्टी से नाराज चल रहे थे. रविवार को ही जेडीयू की ओर से उन्हें एक नोटिस जारी किया गया था जिसमें उनकी संपत्तियों को लेकर आरसीपी सिंह से जवाब मांगा गया था. वह नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से भी नाराज जताए जा रहे हैं. जेडीयू से इस्तीफा देते हुए आरसीपी सिंह ने कहा है कि पार्टी अब एक डूबता हुआ जहाज है.
इस्तीफा देने के बाद आरसीपी सिंह ने कहा, 'मैंने सोचा कि अब बहुत हो गया. अब मैं इस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं. कोई सीमा होती है. आप मुझसे पूछ सकते थे. मैं ऐसे लोगों के साथ नहीं रह सकता. यह पार्टी तो डूबता जहाज है. जितने लोग चुनाव में पार्टी के खिलाफ काम किए, वे सम्मानित हो रहे हैं. हमसे चिढ़ है तो हमसे निपटिए, बच्चियों को घसीट रहे हो.'
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आरसीपी सिंह ने आगे कहा, 'मेरे नाम जमीन नहीं है. मैंने बच्चियों के नाम जमीन ट्रांसफर नहीं की. जिनके नाम है वे जवाब दे रही हैं. वो तो पार्टी की सदस्य भी नहीं है. जानबूझकर मेरी इमेज खराब करने की कोशिश की गई. ऐसा पहले भी कई बार किया जा चुका है. मैं जमीन का आदमी हूं. मैंने हमेशा गरिमा से काम किया है, किसी की एक पैसे की चाय नहीं पी.'
राज्यसभा मिली नहीं, भेज दिया नोटिस
हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव में आरसीपी सिंह को उम्मीद थी कि जेडीयू एक बार फिर से उन्हें अपना उम्मीदवार बनाएगी. वह केंद्र सरकार में मंत्री भी थे. बार-बार कहा गया कि नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह के बीच सब ठीक है लेकिन अब हकीकत सामने आ गई है. दोनों नेताओं के रिश्तों की वजह का नतीजा यह रहा कि आरसीपी सिंह को राज्यसभा नहीं भेजा गया और अब अकूत संपत्ति जुटाने का आरोप लगाकर उन्हें पार्टी की ओर से नोटिस भी भेज दिया गया.
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आरसीपी सिंह ने कहा- दम है तो पता लगा लें
उन्होंने आगे कहा, 'दम है तो सबूत निकाल लें. मेरी बेटी ने जमीन खरीदी, उसका हिसाब उसके पास है. वह रिटर्न फाइल करती है. हमारी पत्नी यहीं रहती हैं, यहीं खेती कराती हैं. हमारा तो कुछ है ही नहीं. हमारा जो है वह सर्विस से मिला पैसा है और पेंशन है. मेरे नाम पर सिर्फ़ एक ही प्लॉट है जो मेरा पुश्तैनी है. कौनसा ऐसा केंद्रीय मंत्री है जो दिल्ली से आकर अपने गांव में रहता है?'
आरसीपी ने आगे कहा, 'जो लोग शीशे के घर में रहते हैं, वे पत्थर न फेंके. आज मैं बहुत दुखी हूं. मैं फिर से चुनौती दे रहा हूं कि मेरे खिलाफ कुछ साबित करके दिखाएं. मैं चुनौती स्वीकार करता हूं. सवा साल से मंत्री था तो ईर्ष्या का कोई इलाज नहीं है. आपको कुछ बर्दाश्त ही नहीं हो पा रहा है मुख्य समस्या यही है.'
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