Maharashtra Politics: Om Birla से मिले शिवसेना के 12 बागी सांसद, बदले जाएंगे फ्लोर लीडर, अब क्या करेंगे उद्धव ठाकरे?

Written By अभिषेक शुक्ल | Updated: Jul 19, 2022, 05:15 PM IST

शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे. (फोटो-PTI)

Shiv Sena Politics: शिवसेना के 12 बागी सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की है. सांसदों ने मिलकर सदन का नेता बदलने की मांग की है.

डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र की सियासत (Maharashtra Politics) में अब शिवसेना (Shiv Sena) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के हाथों से पार्टी की बागडोर खिसक गई है. एकनाथ शिंदे गुट अब संसद में भी हावी होता नजर आ रहा है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के पुत्र और सांसद श्रीकांत शिंदे (Shrikant Shinde) सहित शिवसेना के 12 लोकसभा सदस्यों ने मंगलवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की है.

बागी सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष से मिलकर अपील की है कि निचले सदन में पार्टी का नेता बदल दिया जाए. शिवसेना के बागी सांसदों ने ऐसे समय में ओम बिरला (Om Birla) से भेंट की जब एक दिन पहले ही पार्टी के सदन के नेता विनायक राउत (Vinayak Raut) ने लोकसभा अध्यक्ष को एक पत्र सौंपा था. विनायक राउत ने अपील की थी कि विरोधी खेमे की ओर से दिए गए किसी भी ज्ञापन को स्वीकार न किया जाए.

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शिंदे गुट के नेता बढ़ाएंगे उद्धव की चुनौती

बिरला से मुलाकात करने वाले शिंदे गुट के 12 सांसदों में शामिल हेमंत गोडसे ने कहा, 'शिवसेना के 12 लोकसभा सदस्यों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की और विनायक राउत के स्थान पर राहुल शेवाले को सदन में पार्टी का नेता नियुक्त करने का आग्रह किया.' सोमवार को विनायक राउत ने लोकसभा अध्यक्ष को सौंपे पत्र में साफ किया है कि वे शिवसेना संसदीय पार्टी के विधिवत नियुक्त नेता हैं और राजन विचारे मुख्य सचेतक हैं. 

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अलग-थलग पड़ गए हैं उद्धव ठाकरे

शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे अपनी ही पार्टी में अलग-थलग पड़ गए हैं. अब उनके हाथों से पार्टी की कमान खिसक गई है. उद्धव ठाकरे ने पार्टी संकट के बीच सभी जिलाध्यक्षों की बैठक बुलाई है. बैठक में पार्टी को एक बार फिर से खड़ी करने की कोशिश हो रही है.

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उद्धव ठाकरे पार्टी के सभी विभागों के साथ भी बैठक कर रहे हैं. उद्धव ठाकरे पर अब पार्टी को बचाए रखने की चुनौती है. इससे पहले कई निगमों के कॉरपोरेटर एकनाश शिंदे गुट को अपना समर्थन दे चुके हैं. उद्धव ठाकरे के सामने अपने पार्टी को बचाने की चुनौती है.

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