RSS चीफ भागवत के साथ बातचीत पर मुस्लिम धर्मगुरुओं की 'मुहर', कहा-नफरत के माहौल को बदलना जरूरी

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Oct 17, 2022, 08:00 PM IST

मोहन भावगत और मुस्लिम लीडर्स

RSS चीफ मोहन भागवत के साथ शुरू हुई बातचीत को मुस्लिम धर्मगुरुओं ने समर्थन किया है. उनका कहना है कि नफरत के माहौल को बदलने के लिए यह जरूरी है...

डीएनए हिन्दी: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत (RSS Chief Mohan Bhagwat) और मुस्लिम स्कॉलर्स के बीच शुरू हुई बातचीत का असर अब दिखने लगा है. इसकी शुरुआत 5 मुस्लिम स्कॉलर्स ने की थी. इनके इस कदम का अब देश के बड़े मुस्लिम स्कॉलर्स और धार्मिक नेताओं ने भी सराहना की है.

आरएसएस सुप्रीमो मोहन भागवत से मिलने वाले लोगों ने पिछले पखवाड़े जमात-ए-इस्लामी हिन्द (Jamaat-e-Islami Hind), जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulama-i-Hind) और दारुल उलूम देवबंद (Darul Uloom Deoband) के प्रमुखों के साथ मीटिंग की. इसकी जानकारी मीडिया में आई है.

गौरतलब है कि समाज में घर करती सांप्रदायिकता और हिन्दू-मुस्लिमों के बीच बढ़ती दरार के बीच इन पांचों मुस्लिम विद्वानों ने पिछले महीने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की थी.

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सदातुल्ला हुसैनी, महमूद मदनी और अरशद मदनी के नेतृत्व वाले इस्लामी धार्मिक संगठनों ने भागवत के साथ बातचीत का समर्थन किया है. इनमें से एक ने बातचीत के दौरान सतर्क रहने को कहा है. हालांकि, उनका यह भी कहना था कि बातचीत बेहद जरूरी है.

सदातुल्ला हुसैनी के सेक्रेटरी सैयद तनवीर अहमद ने कहा कि भारत जैसे कई धर्मों और समूहों वाले देश में संवाद ही समस्याओं का एकमात्र समाधान है. ये बैठकें बराबर हों और पारदर्शी हों. साथ ही उन्होंने कहा कि बैठक का जो निष्कर्ष निकले वह संदेश दोनों तरफ (मुस्लिम-हिन्दू समाज) फैलना चाहिए.

अहमद ने ही बताया कि जमात ए इस्लामी के प्रमुख के बीच बैठक जाने-माने संपादक शाहिद सिद्दीकी के दिल्ली वाले घर पर हुई थी. इस बैठक में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी, दिल्ली के पूर्व एलजी नजीब जंग, पूर्व सैन्य अधिकारी जनरल जमीरुद्दीन शाह और बिजनेसमैन सलीम शेरवानी शामिल थे.

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बैठक की पुष्टि करते हुए सिद्दीकी ने बताया कि हमें इस बातचीत के सिलसिला को आगे बढ़ाना होगा. समाज में बढ़ रहे सांप्रदायिक तनाव को कम करना होगा. उन्होंने कहा कि मुस्लिम विद्वानों ने हमें आरएसएस के साथ बातचीत को धर्मिक के बजाय सामाजिक मुद्दों पर रखने के लिए कहा है.

ये पांचों आरएसएस के सीनियर पदाधिकारियों के संपर्क में भी हैं. इन पदाधिकारियों का नाम मोहन भागवत ने 22 अगस्त की बैठक में सुझाए थे. 

ध्यान रहे कि आरएसएस के बात बातचीत की शुरुआत का कई मुस्लिम संगठनों ने विरोध भी किया है. ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (All India Majlis-e-Ittehadul Muslimeen) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इन पांचों लोगों की आरएसएस प्रमुख से मुलाकात का विरोध किया था. ओवैसी का कहना था कि ये लोग इलीट मुस्लिम हैं. ये लोग जमीनी हकीकत से वाकिफ नहीं हैं.

हालांकि, देश के तीन प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने इन पांचों से आरएसएस के साथ बातचीत को आगे बढ़ाने को कहा है. महमूद मदनी के प्रवक्ता नियाज फारुकी ने कहा कि उन पांचों मुस्लिम विद्वानों ने हमसे मुलाकात की है. उन्होंने भागवत के साथ हुई मुलाकात के बारे में जानकारी दी है. हमने इसका स्वागत किया है. संवाद लोकतंत्र की बुनियादी जरूरत है. नफरत के माहौल को बदलने की जरूरत है. 

हालांकि, भागवत से मुलाकात के बाद भी आरएसएस से जुड़े राजनीतिक संगठन के नेताओं का भड़काऊ भाषण जारी है. अभी हाल ही में दिल्ली से बीजेपी के सांसद प्रवेश वर्मा ने एक सार्वजनिक रैली में खुलेआम मुसलमानों के सामाजिक बहिष्कार की बात कही. यही नहीं, गुरुग्राम की एक मस्जिद में भीड़ घुस गई थी और उन्होंने लोगों को नमाज नहीं पढ़ने दिया.

भागवत के साथ बातचीत में शामिल एक विद्वान ने कहा कि हमारी उम्मीदें बहुत अधिक नहीं हैं, लेकिन हम बातचीत के इस सिलसिला को जारी रखेंगे. उन्होंने हमारे बीच गहरे धार्मिक और सामाजिक विभाजन हैं. ऐसे में हमें बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ाना है. इन पांचों मुस्लिम विद्वानों ने बातचीत के सिलसिले को देश अन्य हिस्सों में ले जाने की योजना बनाई है. ये लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऑफिस के भी संपर्क में हैं. गुजरात चुनाव के बाद उनसे भी मिलने का समय मांगेंगे.

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