Ruma Devi: 8वीं में छोड़नी पड़ी पढ़ाई, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में दिया भाषण, कौन हैं रूमा देवी?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Aug 06, 2023, 09:44 AM IST

Ruma Devi

Who is Ruma Devi: रूमा देवी को कभी घर से निकलने की भी अनुमति नहीं होती थी और आज वह देश-विदेश में अपने संघर्ष और मेहनत की गाथा बताने के लिए बुलाई जाती हैं.

डीएनए हिंदी: बचपन में मां को खोया, पहला बच्चा दो दिन में ही मर गया, आठवीं में पढ़ाई छोड़नी पड़ी लेकिन रूमा देवी के कदम कहीं नहीं रुके. अब राजस्थान के बाड़मेर जिले की रूमा देवी हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में भाषण देती हैं और देश-विदेश में उन्होंने बेहद सम्मान से बुलाया जाता है. हर कोई उनके संघर्ष से सीखना चाहता है. साल 2018 में देश की महिलाओं के सर्वोच्च सम्मान नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया. वह सोशल मीडिया पर भी काफी मशहूर हैं. राजस्थान की पारंपरिक वेशभूषा में दिखने वाली रूमा देवी विदेश में भी इसी रूप में दिखती हैं और इसके लिए उनकी खूब तारीफ भी होती है.

राजस्थान के बाड़मेर जिले की रूमा देवी का जन्म होते ही उनकी मां की मौत हो गई. पिता ने भी बेटी से पल्ला झाड़ लिया और रूमा अपने चाचा-चाची के हवाले आ गईं. चाचा-चाची बेटी को बहुत पढ़ाने के पक्ष में नहीं थे ऐसे में रूमा को 8वीं में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ी. इसके बाद वह सिलाई-कढ़ाई के काम में लग गईं. अपने क्षेत्र की दूसरी लड़कियों की तरह ही 17साल की उम्र में ही रूमा देवी की शादी हो गई. रूमा को सिलाई-कढ़ाई का काम बखूबी आता था लेकिन उन्हें घर से बाहर जाकर काम करने का मौका नहीं मिला.

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दो दिन में ही मर गया पहला बच्चा
खेती पर निर्भर परिवार की आर्थिक हालत देखते हुए आखिर में रूमा देवी ने घर से बाहर निकलने का फैसला लिया. साल 2008 में वह पहली बार मां बनीं लेकिन 48 घंटे के अंदर ही उनके बच्चे की मौत हो गई. बड़ी मुश्किल से अपने दुख से उबरीं रूमा देवी अब कदम बाहर रखने का फैसला ले लिया था. उन्होंने अपने ससुराल वालों को बड़ी मुश्किल से मनाया. धीरे-धीरे उन्होंने 10 महिलाओं को भी अपने साथ जोड़ लिया. इन्हीं महिलाओं ने 100-100 रुपये का चंदा लगाया और एक पुरानी सिलाई मशीन खरीदी.

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इस तरह से इन महिलाओं ने अपना सिलाई-कढ़ाई का काम शुरू कर दिया. रूमा ने बाकी महिलाओं को भी काम सिखाया और अब यह नेटवर्क 30 हजार से ज्यादा महिलाओं को जोड़ चुका है. चेतना संस्था से जुड़ी रूमा देवी को महात्मा ज्योति राव फुले यूनिवर्सिटी के 17वें वार्षिक कॉन्फ्रेंस में भाषण देने के लिए बुलाया गया. उन्हें हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में भाषण के लिए बुलाया जा चुका है. अब वह जर्मनी, यूके, अमेरिका, सिंगापुर, थाईलैंड और श्रीलंका जाती रहती हैं और जगह-जगह उन्हें भाषण देने और अपने संघर्ष का अनुभव बताने के लिए बुलाया जाता है.

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