डीएनए हिंदी: फरवरी 2022 के आखिरी सप्ताह के आखिरी में शुरू हुआ रूस यूक्रेन का युद्ध (Russia-Ukraine War) अभी भी जारी है. रूस पर अनेकों प्रतिबंध हैं. इस दौरान जब सभी देश रूस से रिश्तों को खत्म करने की बात कर रहे हैं तो उस दौरान ही रूस की भारत से करीबी बढ़ी है जिसको लेकर पश्चिमी देश भारत से सर्वाधिक खफा हैं. भारत रूस के साथ संबंधों में काफी तटस्थ रहा है. ऐसे में अब जब पश्चिमी देशों ने एक बार फिर सवाल खड़े किए तो भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने इस मुद्दे पर तीखी आलोचना करते हुए कहा है कि भारत की विदेश नीति किसी और के लिए नहीं बन रही है.
एस जयशंकर ने रूस यूक्रेन युद्ध को लेकर उन्होंने कहा, "पश्चिम को भारत के इसी रवैये के साथ जीना होगा. भारत भी अफगानिस्तान और पाकिस्तान के मुद्दों पर मतभेदों के बावजूद पश्चिम के साथ काम करता रहा है. अगर भारत का ये रुख आपकी उम्मीदों के मुताबिक नहीं है तो ये आपकी समस्या है. रूस यूक्रेन मुद्दे पर भारत ने काफी गंभीर रुख अपनाया है."
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भारत रहा है शांति का पक्षधर
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, "पिछले 9 महीनों में भारत के रुख का सम्मान किया गया, और अपने क्रेडिबल पॉजिशन के साथ भारत भी रूस यूक्रेन युद्ध खत्म करने का समर्थक है, और दूसरों के साथ काम करना चाहता है." विदेश मंत्री ने इस दौरान वैश्विक स्तर पर क्वाड में भारत के रुख को लेकर कहा कि क्वाड को कभी भी इस उद्देश्य से नहीं बनाया गया था कि किसी मुद्दे पर सभी युनाइटेड रहे. उन्होंने यह भी साफ किया कि, अगर क्वाड देशों की भारत से कुछ एक्सपेक्टेशन थीं भी तो भारत की भी कुछ एक्सपेक्टेशंस हैं.
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पाकिस्तान को भी लगाई लताड़
इस दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का नाम लिए बिना ही उसे वैश्विक स्तर पर आईना दिखाया है. उन्होंने कहा, "मेरा एक पड़ोसी है जो दिन-रात आतंकवाद फैलाता है. वे सब मिलकर क्यों नहीं वे बातें कहते जो मैं इस मसले पर बोल रहा हूं? आतंकवाद पर यह सामूहिक एकता कहां है, जो असल में काफी पुरानी समस्या है." जयशंकर ने कहा कि 'मैं भी पाकिस्तान या अफगानिस्तान को चुनकर उनसे पूछ सकता हूं कि वे भारत के साथ क्यों नहीं खड़े हैं. उनमें से कई (भारत के साथ) नहीं हैं."
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भारत रूस के बीच मजबूत हुए रिश्ते
आपको बता दें कि भारत रूस ने हाल ही अपने संबंधों की हीरक जयंती मनाई है. इसके पहले भारत ने रूस से कच्चे तेल के आयात में अभूतपूर्व बढ़ोतरी की थी. इसके अलावा प्राकृतिक गैस से लेकर अन्य सामान भी रूस से आयात किए गए. इससे भारत को अंतर्राष्ट्रीय मार्केट की तुलना में सस्ता सामान मिला और रूस को आर्थिक तौर पर मजबूती भी मिली. यही कारण है कि अमेरिका समेत सभी पश्चिमी देश भारत पर रूस को पर्दे के पीछे से समर्थन देने का आरोप लगा रहे हैं.
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