डीएनए हिंदी: राजस्थान में सचिन पायलट बनाम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) का मामला अभी खत्म नहीं हुआ है. हाल ही में राजस्थान कांग्रेस ने 'हाथ से हाथ जोड़ो' (Hath Se Hath Jodo) अभियान के लिए पार्टी के नेताओं की एक मीटिंग बुलाई थी. इस मीटिंग में सीएम अशोक गहलोत तो पहुंचे लेकिन सचिन पायलट (Sachin Pilot) नहीं आए. अशोक गहलोत से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने मौके पर चौका मारते हुए कह दिया कि यह तो काफी गंभीर मामला है. अब कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा है कि पार्टी के कार्यक्रमों में शामिल न होने वाले नेताओं और खराब प्रदर्शन वाले विधायकों-मंत्रियों को अगले चुनाव में टिकट नहीं दिया जाएगा.
सुखजिंदर सिंह रंधावा पार्टी के 'हाथ से हाथ जोड़ो' अभियान की तैयारी बैठक के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे. सचिन पायलट समेत कई मंत्रियों के बैठक में शामिल नहीं होने को लेकर रंधावा ने कहा, 'यह आखिरी साल है और प्रदर्शन देखा जाएगा. इस बात का स्पष्ट संकेत है कि हर व्यक्ति को पार्टी की बैठक और कार्यक्रम में शामिल होना है. मैंने मुख्यमंत्री से कहा है कि वह नरम हैं और मौजूदा सरकार के अंतिम साल में पार्टी को कड़ा फैसला लेना है.'
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दिल्ली गए थे सचिन पायलट
सचिन पायलट के बारे में सवाल पूछे जाने पर अशोक गहलोत ने कहा, 'बैठक में जो नहीं आए, वह राजस्थान कांग्रेस प्रभारी के संदेश से समझ जाएंगे. प्रभारी और ऑब्जर्वर की मौजूदगी के बाद भी नेता नहीं आ रहे हैं, यह बहुत गंभीर बात है.' हालांकि, उन्होंने सचिन पायलट का नाम नहीं लिया लेकिन यह तो सब को पता है कि राजनीति में ज्यादातर हमले बिना नाम लिए ही किए जाते हैं. सचिन पायलट के बारे में बताया गया कि वह दिल्ली गए थे.
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घर-घर जाएंगे कांग्रेस के विधायक और मंत्री
इस बैठक में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने 'हाथ से हाथ जोड़ो' अभियान के लिए जिला समन्वयक नियुक्त किए. ये समन्वयक जिलों में प्रभारी मंत्री से चर्चा करेंगे और अगले तीन दिनों में प्रत्येक प्रखंड में एक-एक समन्वयक नियुक्त किए जाएंगे. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा, 'अगले 60 दिनों में कांग्रेस के नेता हर बूथ का दौरा करेंगे. पार्टी कार्यकर्ता लोगों को कांग्रेस सरकार की प्रमुख योजनाओं के लाभों से अवगत कराएंगे और केंद्र सरकार की विफल योजनाओं का आरोपपत्र पेश करेंगे.'
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि चार साल सत्ता में रहने के बाद भी राज्य में सत्ता विरोधी लहर नहीं है, जिसे कांग्रेस कार्यकर्ताओं को एक अवसर के तौर पर लेना चाहिए और अगले विधानसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित करनी चाहिए.
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