सपा कार्यकारिणी: शिवपाल से आजम खान तक चाचाओं को मालामाल कर गए अखिलेश, फिर भी कर बैठे बड़ी चूक?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jan 29, 2023, 05:23 PM IST

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (फाइल फोटो-PTI)

समाजवादी पार्टी की कार्यकारिणी में मुलायम यादव कुनबा हावी है. रामगोपाल यादव से लेकर शिवपाल यादव तक छाए हुए हैं.

डीएनए हिंदी: मुलायम सिंह यादव के परिवार में उनके निधन के बाद अब सुलह की स्थिति पैदा हो गई है. शिवपाल यादव और अखिलेश यादव एक मचं पर, एक ही पार्टी में नजर आ रहे हैं. अखिलेश यादव की अध्यक्षता वाली समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने रविवार को अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा की है. इस राष्ट्रीय कार्यकारिणी में मुलायम परिवार एक बार फिर हावी है. साथ ही अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने चाचाओं पर मेहरबान नजर आए हैं. रामगोपाल, शिवपाल से लेकर आजम खान तक को अखिलेश ने अहम जिम्मेदारी सौंपी है. 

राष्ट्रीय कार्यकारिणी के मुताबिक अखिलेश यादव को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और प्रोफेसर राम गोपाल यादव प्रमुख महासचिव हैं. मोहम्मद आजम खान, शिवपाल सिंह यादव और स्‍वामी प्रसाद मौर्य को महासचिव बनाया गया है. सपा के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से पार्टी के 62 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सूची साझा की गई है. 

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किसे मिला कौन सा पद?

अखिलेश यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष, किरणमय नंदा को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, राम गोपाल यादव को राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव बनाया गया है. इसके अलावा मोहम्मद आजम खां, शिवपाल सिंह यादव, स्वामी प्रसाद मौर्य, रवि प्रकाश वर्मा, बलराम यादव सहित 14 राष्ट्रीय महासचिव होंगे. सुदीप रंजन सेन पार्टी के कोषाध्यक्ष होंगे, जबकि सदस्यों के अलावा 19 राष्ट्रीय सचिव होंगे. 

कहां चूक कर बैठे हैं अखिलेश यादव?

स्वामी प्रसाद यादव, जिस तरह के बयान दे रहे हैं, उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी में रखना अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ा सकता है. वह लागातार ऐसे बयान दे रहे हैं, जिससे अखिलेश के समर्थकों का एक धड़ा उनसे नाराज हो सकता है. स्वामी प्रसाद मौर्य रामचरित मानस पर दिए गए बयान पर वैसे ही हंगामा खड़ा हुआ है. उन्होंने कहा था कि कई करोड़ लोग रामचरित मानस को नहीं पढ़ते. सब बकवास है, जिसे तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है. उनके बयान पर समाजवादी पार्टी बुरी तरह से घिर गई है.  

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बीजेपी इस बयान पर अखिलेश को बुरी तरह से घेर रही है. बीजेपी नेता नरेश अग्रवाल ने तो यहां तक कह दिया है कि अब अखिलेश को खुलकर अल्लाह का नाम लेना चाहिए और मान लेना चाहिए कि वह भगवान को नहीं मानते हैं. बीजेपी समर्थकों का एक गुट यह मानता है कि सपा मुस्लिम तुष्टीकरण करती है और हिंदू हितों के खिलाफ है. रामचरित मानस को हिंदू धर्म में अहम दर्जा दिया गया है. ऐसे में लोकसभा चुनाव 2024 में यह अखिलेश की मुश्किलें बढ़ा सकता है. संत समाज और हिन्दूवादी संगठनों ने स्वामी प्रसाद के बयान पर ऐतराज जताया था. इस मामले में मौर्य के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ है. 

कैसे मुलायम कुनबे में हो गई सुलह?

सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद शिवपाल सिंह यादव ने मैनपुरी में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव के लिए जमकर चुनाव प्रचार किया था. चुनाव में सपा की भारी जीत के बाद उन्होंने पार्टी का झंडा थाम लिया. अब भतीजे अखिलेश ने चाचा शिवपाल को बड़ा इनाम दिया है.

2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव के बीच नजदीकी होने के बाद शिवपाल ने सपा के ही निशान पर विधानसभा चुनाव लड़ा और जसवंत नगर से विधायक बनने के बाद फिर से अखिलेश यादव से उनकी दूरी हो गयी थी. मुलायम सिंह के छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव से अखिलेश यादव मैनपुरी उपचुनाव में चौथी बार मतभेद दूर कर एक हुए थे और तबसे चाचा-भतीजा के रिश्ते मजबूत हुए हैं. 

सपा की कार्यकारिणी में किसे मिली कौन सी जिम्मेदारी?

सपा में विशंभर प्रसाद निषाद, अवधेश प्रसाद, इंद्रजीत सरोज, रामजीलाल सुमन, जो एंटोनी, हरेंद्र मलिक और नीरज चौधरी को भी राष्‍ट्रीय महासचिव का दायित्व सौंपा गया है. डॉक्टर मधु गुप्ता, कमाल अख्‍तर, दयाराम पाल, राजेंद्र चौधरी, राजीव राय, राम बख्‍श वर्मा, अभिषेक मिश्रा, जावेद आब्दी, रमेश प्रजापति, पीएन चौहान, आकिल मुर्तजा, अखिलेश कटियार, रामआसरे विश्वकर्मा, तारकेश्वर मिश्रा, हाजी इरफान अंसारी, रामराज पाल, त्रिभुवन दत्त, राममूर्ति वर्मा और वीरपाल यादव को राष्ट्रीय सचिव बनाया गया है. विशेष रूप से जया बच्‍चन, राम गोविंद चौधरी, अबू आसिम आजमी और लीलावती कुशवाहा जैसे नेताओं को भी कार्यकारिणी की जगह दी गई. इस 62 सदस्यीय कार्यकारिणी में अल्ताफ अंसारी, किसान सिंह सैंथवार, व्यास जी गौड़ और मौलाना इकबाल कादरी को विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया है. (इनपुट: भाषा)

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