सरकारी Teacher घंटों चलाते हैं Phone, गरीबों तक कैसे पहुंचेगी Quality Education

आदित्य प्रकाश | Updated:Jul 11, 2024, 01:33 PM IST

डीएम ने संभल के एक एक सरकारी स्कूल का किया औचक निरीक्षण

ये मामला संभल (Sambhal) विकास खंड के शरीफपुर स्थित प्राथमिक स्कूल का है. डीएम की तरफ से उस शिक्षक को सस्‍पेंड कर दिया गया है.

यूपी के संभल (Sambhal) जिले में डीएम (DM) राजेंद्र पेंसिया ने एक सरकारी स्कूल का औचक निरीक्षण (Inspection) किया. इस दौरान डीएम को वहां चौंकाने वाले तथ्य हाथ लगे. स्कूल में कार्यरत सरकारी शिक्षक आधे से ज्यादा समय फोन चलाते पाए गए. निरीक्षण के दौरान डीएम ने जब स्कूल में मौजूद एक शिक्षक के फोन की तलाशी ली, तो उस वक्त वो मोबाइल गेम खेल रहे थे. जब पूरा फोन खंगाला गया तो पता लगा कि शिक्षक महोदय ने 5.30 घंटे की ड्यूटी में 1 एक घंटा 17 मिनट का समय कैंडी क्रश खेलते हुए बिताया था. इसके अलावा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का भी खूब इस्तेमाल किया था. इसके बाद जब डीएम ने टीचर की तरफ से जांची गई कॉपियों पर नजर घुमाया तो पता चला कि छह पन्नों में 95 गलतियां मौजूद थीं. लापरवाही को देखते हुए डीएम ने वहां मौजूद शिक्षकों की जमकर क्लास लगाई. ये मामला संभल विकास खंड के शरीफपुर स्थित प्राथमिक स्कूल का है. डीएम की तरफ से उस शिक्षक को सस्‍पेंड कर दिया गया है.

निरीक्षण के दौरान स्कूल में आधे से भी कम छात्र मौजूद थे 
डीएम ने सरकारी शिक्षक प्रेम गोयल के फोन की तालाशी की गई. इस दौरान पाया गया कि उन्होंने अपने ड्यूटी के दौरान लगभग ढाई घंटे अपने मोबाइल में लगे थे. जिसमें उन्होंने लगभग 1 घंटा 17 मिनट कैंडी क्रश सागा खेला. 26 मिनट मोबाइल पर लोगों से गप-शप की. उसके बाद फेसबुक पर 17 मिनट ऑनलाइन समय व्यतीत किया. 11 मिनट लगभग गूगल क्रोम का इस्तेमाल किया. वहीं, इस स्कूल की बात करें तो यहां कुल 101 छात्र और छात्राएं पढ़ते हैं. लेकिन जब डीएम निरीक्षण करने आए थे तो स्कूल में आधे से भी कम छात्र मौजूद थे.

गरीबों तक कैसे पहुंचेगी Quality Education
गरीबी शिक्षा को कई तरह से प्रभावित करती है. गरीबों का एक तबका ऐसा भी है, जहां माता-पिता अशिक्षित हैं. वो शिक्षा की अहमियत को नहीं समझ पाते हैं. सरकार की तरफ से इसलिए योजनाएं चलाई जाती हैं. वित्तीय संकट की वजह से बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराना कठिन हो जाता है. सरकार शिक्षा अधिकारियों के कारण कई बड़े और महत्वपूर्ण योजनाओं का संचालन सही तरीके से नहीं हो पाता है. वहीं शिक्षकों की लापरवाही भी एक बड़ा कारण है. भारत के ज्यादातर शिक्षकों में खुद गुणवत्ता का अभाव देखने मिलता है. इस वजह से छात्रों तक सही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पाती है. सराकार को चाहिए कि वो शिक्षकों का समय-समय पर ट्रेनिंग करवाएं. साथ ही उन्हें उसकी जिम्मेदारियों के प्रति जागरुक करें. साथ ही बड़े अधिकारियों के द्वारा नियमित रूप से औचक निरीक्षण होते रहना चाहिए, ताकि वो अपने काम के प्रति जिम्मेदार रहें.

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