लोकसभा चुनाव 2024 की रणनीति बनाने में जुटी कांग्रेस को लगातार कई झटके लगे हैं. कांग्रेस ने पार्टी विरोधी बयानबाजी पर संजय निरुपम 6 साल के लिए बाहर कर दिया है. इस पर संजय निरुपम का कहना है कि उन्होंने पहले ही पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया था. उसके बाद पार्टी ने सस्पेंड करने का प्रेस नोट जारी किया. उन्होंने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस पर खूब हमला बोला और साथ ही कई तरह की आरोप भी लगाए. आइए जानते हैं कि उन्होंने क्या कुछ कहा है...
संजय निरुपम ने कहा कि कांग्रेस में पांच अलग-अलग पावर सेंटर हैं. सोनिया, राहुल, बहनजी, नए अध्यक्ष खड़गे जी और वेणुगोपाल जी. कांग्रेस में वैचारिक द्वंद्व चल रहा है, इससे कार्यकर्ताओं में निराशा चल रही है. राहुल जी के आसपास जो लेफ्टिस्ट हैं, वे आस्था में विश्वास नहीं करते. अकेले कांग्रेस ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के निमंत्रण क जवाब में चिट्ठी लिखी कि ये भाजपा का प्रचार है. उन्होंने राम के अस्तित्व को ही नकार दिया.
संजय निरुपम ने नेहरु का जिक्र कर कांग्रेस पर बोला हमला
संजय निरुपम ने नेहरु का जिक्र कर कहा कि कांग्रेस कहती है कि वो सेक्युलर पार्टी है. इसमें कुछ गलत नहीं. गांधीजी के सेक्युलरिज्म में किसी धर्म का विरोध नहीं था. नेहरूजी के सेकुलरिज्म में ये सही, ये गलत वाली बात थी लेकिन आज नेहरू के सेक्युलरिज्म की विचारधारा खत्म हो गई है. इसे मानने के लिए कांग्रेस तैयार नहीं है. इस विचारधारा को लेकर सबसे तेजी से लेफ्टिस्ट चल रहे हैं, वे खुद खत्म हो चुके हैं. कांग्रेस में लॉबियों के बीच टकराव चल रहा है. कांग्रेस में नेताओं की परेशानी बढ़ती जा रही है. अंतत: मेरा धैर्य टूटा और आज आपके सामने बैठे हैं. कार्यकर्ताओं में निराशा गहराती जा रही है. कांग्रेस बार-बार कहती है कि हम धर्म निरपेक्ष पार्टी हैं. कांग्रेस को गांधी जी लेकर आए थे.
सोशल मीडिया पर कही थी यह बात
इससे पहले सोशल मीडिया पोस्ट में निरुपम ने मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजे इस्तीफे की तस्वीर शेयर की. उन्होंने लिखा, 'ऐसा लगता है कि बीती रात मेरा इस्तीफा मिलते ही पार्टी ने मुझे निकाले जाने का ऐलान करने का फैसला लिया, ऐसी फुर्ती देखकर अच्छा लगा. बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम अपना इस्तीफा भेजने के बाद पार्टी ने उन्हें निकाला. जानकारी के लिए बता दें कि बुधवार रात कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी बयानों की शिकायतों के बाद निरुपम को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित करने की मंजूरी दी थी.
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