डीएनए हिंदीः शिवसेना सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) को आखिरकार प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार कर लिया है. रविवार को उसने दिनभर पूछताछ करने के बाद संजय राउत को पीएमएलए (PMLA) के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के मामले देर रात गिरफ्तार किया गया है. आज उन्हें पीएमएलए कोर्ट में पेश किया जाएगा. बता दें कि संजय राउत के घर से रविवार को छारेमारी के दौरान 11.50 लाख रुपये भी बरामद किए गए थे.
आज होगी कोर्ट में पेशी
संजय राउत को आज दोपहर तक पीएमएलए कोर्ट में पेश किया जाएगा. इसके लिए प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी दिल्ली से मुंबई पहंच गए हैं. फिलहाल संजय राउत से पूछताछ की जा रही है. ईडी कोर्ट से उनकी हिरासत मांग सकती है. इससे पहले संजय राउत के वकील ने दावा कि था कि राउत को सिर्फ पूछताछ के लिए ईडी दफ्तर ले जाया गया है. हालांकि ईडी ने देर रात उन्हें गिरफ्तार कर लिया. उधर संजय राउत ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि वह झुकेंगे नहीं. महाराष्ट्र को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है.
ये भी पढ़ेंः Partha Chaterjee बोले- ईडी को जो पैसे मिले वे मेरे नहीं हैं, ममता बनर्जी ने मुझे हटाकर सही किया
रविवार को हुई थी छापेमारी
रविवार को ईडी की टीम सुबह 7 बजे ही संजय राउत के भांडुप स्थित घर पहुंची. दिनभर उनके पूछताछ जारी रही. ईडी ने राउत के घर से कैश भी बरामद किया. इसके बाद उन्हें ईडी दफ्तर ले जाया गया. ईडी ने देर रात 12 बजे उनकी गिरफ्तारी दिखाई है.
ये भी पढ़ेंः श्रीलंका की तरह PM के घर में घुसेंगे लोग, क्यों बोले असदुद्दीन ओवैसी?
क्या है मामला
संजय राउत को पात्रा चॉल घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया गया है. पात्रा चॉल जमीन घोटाले की शुरुआत 2007 से हुई. महाराष्ट्र हाउसिंग एंड डिवलपमेंट अथॉरिटी यानी म्हाडा (MHADA), प्रवीण राउत, गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन और हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (HDIL) की मिली भगत से यह घोटाला होने का आरोप है. 2007 में म्हाडा ने पात्रा चॉल के रिडिवेलपमेंट का काम गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन को दिया. यह कंस्ट्रक्शन गोरेगांव के सिद्धार्थ नगर में होना था. म्हाडा की 47 एकड़ जमीन में कुल 672 घर बने हैं. रीडिवेलपमेंट के बाद गुरु आशीष कंपनी को साढ़े तीन हजार से ज्यादा फ्लैट बनाकर देने थे. म्हाडा के लिए फ्लैट्स बनाने के बाद बची हुई जमीन को प्राइवेट डिवलपर्स को बेचना था. 14 साल के बाद भी कंपनी ने लोगों को फ्लैट बनाकर नहीं दिए. ED ने बताया था कि 2010 में प्रवीण राउत को इक्विटी बिक्री और लैंड डील के लिए 95 करोड़ रुपये मिले थे. हालांकि, कंपनी इस प्रोजेक्ट को पूरा नहीं कर पाया था. कुल मिलाकर प्रवीण राउत, राकेश वधावन और सारंग वधावन ने रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के नाम पर करोड़ों रुपये हेरफेर किए.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.