डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा कि सत्ता के लिए वह कुछ भी कर सकते हैं. शिंदे ने दावा किया कि उद्धव ठाकरे 2004 से ही मुख्यमंत्री बनना चाहते थे लेकिन बात नहीं बनी. वह सत्ता पाने के लिए हमास और हिजबुल को भी गले लगा सकते हैं. शिंदे के इस बयान पर संजय राउत ने पलटवार किया है. संजय राउत ने कहा कि एकनाथ शिंदे खुद एक हमास हैं.
संजय राउत ने कहा, 'एकनाथ शिंदे के बयान से लगता है कि बीजेपी ने आपके दिमाग में कितने गंदे कीड़े भर दिए हैं. वे खुद हमास ही हैं.' उन्होंने कहा कि मैं उनका (एकनाथ शिंदे) का नाम नहीं लेना चाहता, क्योंकि उनके दिमाग में खुद हमास भरा हुआ है. उनको असल बातें 2024 में समझ आएंगी जब वो सत्ता में नहीं होंगे. राउत ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री एक नया शगूफा लेकर आए हैं. जिन्हें आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी एनडीए के मुख्यमंत्रियों को दी गई है.
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'बाल ठाकरे की पीठ में छुरा घोंपा'
गौरतलब है कि आजाद मैदान में शिवसेना की दशहरा रैली में विशाल सभा को संबोधित करते हुए सीएम एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे का नाम लिए बिना कहा था कि उन्होंने अपनी वैचारिक विरासत के साथ बेईमानी करके बाल ठाकरे की पीठ में छुरा घोंपा है. शिंदे ने कहा कि उन्हें आश्चर्य नहीं होगा अगर वे (उद्धव ठाकरे) असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के साथ गठबंधन कर लें और वे अपने स्वार्थी उद्देश्यों और कुर्सी (सत्ता) के लिए हमास, हिजबुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठनों को गले लगा लें.’
उन्होंने यह भी दोहराया कि राज्य सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है जो कानूनी जांच में खरा उतरेगा. साथ ही उन्होंने युवाओं से आत्महत्या जैसे कदम नहीं उठाने की अपील की. शिंदे ने कहा कि आपने सत्ता के लिए कांग्रेस और समाजवादियों के साथ जाकर बाला साहेब ठाकरे की हिंदुत्व विचारधारा को दफन कर दिया. बाला साहेब ने शिवतीर्थ (शिवाजी पार्क मैदान) से ‘गर्व से कहो हम हिंदू हैं’ का नारा दिया था, लेकिन उस स्थान से गर्व से कहो हम कांग्रेसी और समाजवादी हैं जैसे नारे दिए जा रहे हैं.’
शिंदे ने दावा किया कि उद्धव ठाकरे 2004 से ही मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा पाले हुए थे, लेकिन बात नहीं बनी. शिंदे ने दावा किया कि उनकी (उद्धव की) इच्छा 2004 से ही मुख्यमंत्री बनने की थी लेकिन जुगाड़ काम नहीं आया. उन्होंने दिखावा किया कि उनकी इस पद में कभी दिलचस्पी नहीं रही है. सार्वजनिक रूप से कहा गया कि उन्होंने शरद पवार की सलाह पर (2019 विधानसभा चुनाव के बाद) जिम्मेदारी स्वीकार की. मुख्यमंत्री ने दावा किया कि लेकिन तथ्य यह है कि इस पद के लिए उनके (उद्धव के) नाम की सिफारिश करने के लिए दो व्यक्तियों को पवार के पास भेजा गया था.’
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