Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया 11 दोषियों की रिहाई का फैसला, फिर जाना होगा जेल

Written By नीलेश मिश्र | Updated: Jan 08, 2024, 11:55 AM IST

Bilkis Bano Gangrape Case

Bilkis Bano Case Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली बिलकिस बानो की याचिकाएं स्वीकार करने योग्य हैं.

डीएनए हिंदी: बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की रिहाई के फैसले को खारिज कर दिया है. ऐसे में इन 11 दोषियों को फिर से जेल जाना पड़ सकता है. 2002 के दंगों के दौरान हुए इस रेप कांड के सभी  दोषियों को गुजरात की सरकार ने 15 अगस्त 2022 को रिहा कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस राज्य में दोषियों के खिलाफ मुकदमा चला हो और सजा हुई हो वही दोषियों की माफी पर फैसला ले सकता है. सर्वोच्च अदालत के मुताबिक, इस मामले में गुजरात नहीं महाराष्ट्र की सरकार माफी का फैसला ले सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सभी 11 दोषी दो हफ्ते के अंदर जेल में रिपोर्ट करें.

बिलकिस बानो की याचिकाओं को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी वी नागरत्न और उज्जल भुयन की बेंच ने कहा है कि इस सरकार में गुजरात की सरकार उचित सरकार नहीं थी जो कि क्षमा दे सके. यानी गुजरात सरकार ने जिस आदेश के तहत इन दोषियों को माफ किया वह आदेश उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है. सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, माफी का यह आदेश महाराष्ट्र की सरकार ही दे सकती थी.

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क्या है बिलकिस बानो केस?
बता दें कि 2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो की उम्र 21 साल की थी और वह 5 महीने की गर्भवती थीं. दंगों के दौरान उनके परिवार के सात लोगों को मार डाला गया था जिसमें उनकी तीन साल की एक बेटी भी थी. इन दोषियों ने न सिर्फ बिलकिस बानो के पूरे परिवार की हत्या की बल्कि बिलकिस बानो का गैंगरेप भी किया. इसी मामले में 11 लोगों को सजा सुनाई गई थी और वे लंबे समय से जेल में बंद थे. साल 2022 में 15 अगस्त को गुजरात की सरकार ने इन सभी को माफी देते हुए जेल से रिहा कर दिया था.

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इन दोषियों को इस तरह से रिहा कर दिए जाने के फैसले पर भी सवाल उठे थे. कुछ संगठनों ने इन दोषियों को भव्य तरीके से स्वागत भी किया था. बिलकिस बानो ने गुजरात सरकार के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी लेकिन उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी. फिर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. दरअसल, इन दोषियों को आजीवन कारावास की सजा मिली थी लेकिन इन्हें सजा पूरी करने से पहले ही रिहा कर दिया गया.

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