सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने वोट के बदले नोट मामले में अहम फैसला दिया है. सोमवार (4 मार्च, 2024) को कोर्ट ने साल 1998 का फैसला पलटते हुए कहा कि यह विशेषाधिकार के दायरे में नहीं आता है. इसलिए सांसद और विधायकों को छूट नहीं दी जा सकती है. अगर घूस लेने वाले ने घूस देने वाले को वोट नहीं दिया है, तो भी इस बात से फर्क नहीं पड़ता है. इसे विशेषाधिकार के दायरे में नहीं लाया जा सकता है, क्योंकि ये सदन के कामकाज से जुड़ा नहीं है. विशेषाधिकार सिर्फ सदन के कामकाज से ही जुड़ा होता है.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कैश फोर वोट मामले में संविधान पीठ के 5 जजों की संविधान पीठ के 1998 वाले फैसले को पलट दिया है. कोर्ट का कहना है कि इस मामले में सांसदों को राहत नहीं मिलनी चाहिए. चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि घूसखोरी की छूट किसी को भी नहीं दी जा सकती है. वोट के बदले नोट मामले में इस फैसले का असर जेएमए की सीता सोरेन पर पड़ेगा. सीता ने साल 2012 में घूस लेकर राज्यसभा में वोट दिया था.
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रिश्वत लेकर वोट देने वालों पर चलेगा केस
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सात जजों की संवैधानिक बेंच ने इस मामले पर सर्वसम्मति से फैसला दिया है. पीठ ने कहा कि वोट के लिए नोट लेने वालों पर केस चलना चाहिए. अब इसके बाद जेएमएम की सीता सोरेन पर केस चल सकता है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का असर कई राज्यों में सांसदों और विधायकों पर पुड़ने वाला है.
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