Hindenburg-Adani Issue: अडानी मुद्दे पर JPC की मांग क्यों है गलत? शरद पवार ने समझाया आंकड़ों का पूरा गणित

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Apr 08, 2023, 06:03 PM IST

Sharad Pawar

शरद पवार ने कहा, 'JPC का गठन संसद में बहुमत के आधार पर किया जाएगा. मेरा विचार है कि इसकी जगह सुप्रीम कोर्ट की समिति अधिक प्रभावी होगी.’ 

डीएनए हिंदी: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष शरद पवार (Sharad Pawar) ने शनिवार को कहा कि वह अडाणी समूह के खिलाफ आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) से जांच के पूरी तरह से खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट की एक समिति अधिक उपयुक्त और प्रभावी होगी. पवार ने कहा कि अगर जेपीसी में 21 सदस्य हैं, तो संसद में संख्या बल के कारण 15 सत्ता पक्ष से और छह विपक्षी दलों से होंगे, जो समिति पर संदेह पैदा करेगा.

शरद पवार ने कहा कि शीर्ष अदालत ने एक विशिष्ट समय अवधि में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश के साथ कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की एक समिति गठित करने का फैसला किया. पवार ने कहा, ‘मैं पूरी तरह से जेपीसी के खिलाफ नहीं हूं. कई बार जेपीसी गठित हुई है और मैं कुछ जेपीसी का अध्यक्ष रहा हूं. जेपीसी का गठन संसद में बहुमत के आधार पर किया जाएगा. जेपीसी के बजाय मेरा विचार है कि सुप्रीम कोर्ट की समिति अधिक उपयुक्त और प्रभावी होगी.’ 

 हिंडनबर्ग रिसर्च की जानकारी नहीं
एनसीपी प्रमुख ने यह भी कहा कि उन्हें अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च के पिछले इतिहास की जानकारी नहीं है, जिसने अरबपति गौतम अडाणी की कंपनियों में शेयर और लेखांकन में हेरफेर-धोखाधड़ी का आरोप लगाया है. इसके परिणामस्वरूप राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्षी दल कांग्रेस और अन्य ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ जेपीसी जांच की मांग करते हुए कड़ा विरोध किया. अडाणी समूह ने आरोपों का खंडन किया है.

पवार ने कहा, ‘एक विदेशी कंपनी देश में स्थिति का जायजा लेती है. हमें यह तय करना चाहिए कि इस पर कितना ध्यान दिया जाना चाहिए. इसके बजाय जेपीसी उच्चतम न्यायालय की एक समिति अधिक प्रभावी होगी.’ एक निजी समाचार चैनल के साथ एक साक्षात्कार में पवार अडाणी समूह के समर्थन में सामने आए और इस समूह पर ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ की रिपोर्ट को लेकर बयानबाजी की आलोचना की.

इस मुद्दे को जरूरत से ज्यादा महत्व दिया गया
उन्होंने कहा, ‘इस तरह के बयान पहले भी अन्य लोगों ने दिए हैं और कुछ दिनों तक संसद में हंगामा भी हुआ है, लेकिन इस बार इस मुद्दे को जरूरत से ज्यादा महत्व दिया गया. जो मुद्दे रखे गए, किसने ये मुद्दे रखे, जिन लोगों ने बयान दिए उनके बारे में हमने कभी नहीं सुना कि उनकी क्या पृष्ठभूमि है. जब वे ऐसे मुद्दे उठाते हैं जिससे पूरे देश में हंगामा होता है, तो इसकी कीमत देश की अर्थव्यवस्था को चुकानी पड़ती है. इन चीजों की हम अनदेखी नहीं कर सकते. ऐसा लगता है कि इसे निशाना बनाने के मकसद से किया गया.