शेख हसीना और गांधी परिवार के बीच दोस्ती का राज समझिये, जानकारी करेगी दंग

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Aug 07, 2024, 05:50 PM IST

शेख हसीना से बातचीत करती हुईं सोनिया गांधी 

भारत के पड़ोसी मुल्क Bangladesh में हुई हिंसा और वहां से पीएम Sheikh Hasina के इस्तीफे और देश छोड़ने ने एक पुरानीघटना की यादें ताजा कर दी हैं. मुद्दा दोस्ती है जिसके घेरे में पीएम मोदी और सोनिया गांधी दोनों हैं.

साल था 1975. कुछ हथियार बंद लोग प्रधानमंत्री आवास मे घुसते हैं और शेख हसीना के पिता और बांग्लादेश के तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख मुजीबुर रहमान उनकी पत्नी और बेटे के अलावा कई अन्य लोगों की बेरहमी से हत्या कर देते हैं. बीते दिन बांग्लादेश में हुआ प्रोटेस्ट जिस तरह हिंसक हुआ, उसने एक बार फिर 1975 में घटी उस घटना की यादें ताजा कर दी हैं. 

बताते चलें कि साल 1975 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने शेख हसीना को दिल्ली में शरण दी थी. बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी आंदोलन के आक्रामक होने के बाद आनन फानन मे शेख हसीना और उनकी बहन दोनों अगरतला पहुंची. जहां से भारतीय वायु सेना की निगरानी मेंउन्हें हिंडन एयरबेस लाया गया.

बताया जा रहा है कि कुछ पेपर वर्क के बाद शेख हसीना लंदन चली जाएंगी, फिलहाल वो भारत में ही रहेंगी. 1975 में जब शेख हसीना भारत शरण लेने आईं थीं तब तत्कालीन इंदिरा सरकार ने उन्हें दिल्ली स्थित 56 रिंग रोड के सेफ हाउस मे भारी सुरक्षा के बीच रखा गया था.

तब शेख हसीना लगातार 6 साल भारत में रही थीं और उस दौरान उनका गांधी परिवार से एक परिवार जैसा नाता जुड़ गया था. तब से लेकर आज तक गांधी परिवार और शेख हसीना के बीच मधुर संबंध देखने को मिलते हैं.

ज्ञात हो कि शेख हसीना अभी हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के  शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिए भारत आई थीं. उस दौरान भी उनकी मुलाक़ात गांधी परिवार से हुई थी जहां वो पूरे परिवार से गले मिलते हुए दिख रहीं थीं.

बीते दिन घटना के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति के बारे मे जानकारी दी थी. 

जिक्र शेख हसीना का हुआ है तो ये बता देना भी जरूरी है कि वर्ष 1981 मे वो अपने देश जाती हैं जहां उन्हें अपने पिता की बनाई हुई पार्टी अवामी लीग का नेता चुना जाता है. इसके बाद से शेख हसीना लगातार बांग्लादेश की राजनीति में सजग रूप से बनी हुई हैं.

गौरतलब है कि साल 2004 में भी शेख हसीना पर एक जानलेवा हमला हुआ था, जिसमे वो बाल बाल बच गयी थी. गांधी परिवार के साथ साथ केंद्र रहे तमाम राजनीतिक दलों का शेख हसीना और उनकी अवामी लीग पार्टी से एक अच्छा रिश्ता रहा है.

फिलहाल बांग्लादेश मे स्थिति नाजुक बनी हुई है. पूरी दुनिया की नजरें वहां के राजनीतिक घटनाक्रम पर बनी हुई हैं. बीते दिन ही बांग्लादेश में सेना की तरफ से एक बयान जारी हुआ था जिसमें कहा गया था की बांग्लादेश मे इस परिस्थिति से निपटने के लिए जल्द ही एक अंतरिम सरकार का गठन किया जाएगा.

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