डीएनए हिंदी: अपनी स्थापना के 56 साल बाद शिवसेना दो धड़ों में बंट गई है. उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना दो धड़ों में बंट गई है. दोनों दल मुंबई में ही दशहरा रैलियां आयोजित कर रहे हैं. शिवसेना की पारंपरिक रैली हमेशा शिवाजी पार्क में होती रही है. बंटवारे के बाद एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला गुट बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) में दशहरा रैली आयोजित कर रहा है. दोनों रैलियों में एक से डेढ़ लाख जनता उमड़ सकती है. दोनों धड़े इस कोशिश में जुटे हैं कि ज्यादा से ज्यादा शिवसैनिक उनकी रैलियों में आएं. नए शिवसैनिकों का धड़ा, जहां एकनाथ शिंदे के साथ चला गया है, वहीं पुराने शिवसैनिक अब भी मानते हैं कि उनकी पार्टी उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ही है.
एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के कुछ विधायकों के जून में बगावत कर दिया था. राज्य में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी सरकार गिर गई थी, तभी से दल दो धड़ों में बंटा हुआ है. दोनों दल खुद को असली शिवसैनिक बताते हैं. एकनाथ शिंदे जहां यह कहते हैं कि वे असली शिवसैनिक हैं, वहीं उद्धव ठाकरे कहते हैं कि उनके साथ विरासत जुड़ी हुई है. ऐसे में असली शिवसेना, पुरानी शिवसेना ही है. मुंबई में आज महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में ये दो रैलियां आयोजित की जा रही हैं, जिसके चलते शहर की पुलिस ने शिवाजी पार्क और बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं.
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किस गुट की कितनी है तैयारी?
शिवसेना के दोनों गुटों की तैयारियां युद्धस्तर पर हैं. पांच हजार से अधिक बसें, कई छोटी गाड़ियां, कार और एक स्पेशल ट्रेन शिवसैनिकों को पहुंचाने के लिए चलाई जा रही हैं. दोनों गुट, खुद को एक-दूसरे से ज्यादा प्रभावशाली साबित करने के लिए जोर-आजमाइश कर रहे हैं. राज्य में सरकार बदलने के बाद इसे दोनों खेमों के शक्ति प्रदर्शन करने के तौर पर देखा जा रहा है. दोनों दल कोशिश कर रहे हैं कि उनकी रैली में भीड़ दूसरे से ज्यादा हो.
दशहरा पर लगेगा उद्धव गुट को एक और झटका
दशहरा रैली पर उद्धव ठाकरे को एक और बड़ा झटका लगने वाला है. एकनाथ शिंदे गुट में उद्धव ठाकरे गुट के बचे हुए सांसद और विधायक भी जुड़ने वाले हैं. शिंदे गुट का दावा है कि 2 सांसद और 5 विधायक एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट में शामिल हो रहे हैं. यह दावा लोकसभा सांसद कृपाल तुमाणे ने किया है. ऐसे में उद्धव ठाकरे को रैली में एक और झटका लगने वाला है. पहले ही एकनाथ शिंदे, उद्धव ठाकरे की पार्टी को बड़ा झटका दे चुके हैं. एक के बाद एक बड़े नेता भी उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ रहे हैं.
एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के संबोधन में क्या हो सकता है खास?
उद्धव ठाकरे, शिवाजी पार्क में रैली को संबोधित करेंगे. इसे शिवसेना शिवतीर्थ बुलाती है. शिवसेना इस मैदान पर अपना हक जताती है. वहीं एकनाथ शिंदे एमएमआरडीए मैदान में रैली को संबोधित करेंगे. दोनों नेता, अपने गुट को असली शिवसेना और अपने समर्थकों को असली शिवसैनिक बताने की तैयारी कर चुके हैं. दोनों खेमों का दावा है कि वे बाल ठाकरे के आदर्शों को आगे बढ़ा रहे हैं. बाल ठाकरे शिवाजी पार्क में दशहरा रैलियों में उग्र भाषण देने के लिए पहचाने जाते थे. 2012 में उनके निधन के बाद से उनके बेटे उद्धव ठाकरे इस वार्षिक रैली को संबोधित करते आए हैं. पुराने शिवसैनिकों की आस्था, अब भी उद्धव ठाकरे गुट पर ही है.
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क्या है दोनों गुटों का दावा?
दोनों खेमों का दावा है कि उनकी रैली सफल होगी. शिवसेना के दोनों दलों के नेताओं ने मंगलवार को तैयारियों का जायजा भी लिया. रैलियों के मद्देनजर कई सड़क मार्ग बंद किए गए हैं या वाहनों की आवाजाही के लिए मार्ग में परिवर्तन किया गया है. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना, उन्हें उनके पिता बाल ठाकरे से विरासत में मिली है. एकनाथ शिंदे खुद को विचार के आधार पर बाल ठाकरे का वारिस बता रहे हैं, यही वजह जाहिर कर उन्होंने पार्टी से बगावत भी की थी. अब देखने वाली बात यह है जनता विरासत का साथ देती है या बगावत का.
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दोनों रैलियों के लिए क्या है पुलिस और प्रशासन की तैयारी?
मुंबई पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रैलियों और बुधवार को देवी दुर्गा की प्रतिमा के विसर्जन समारोह के मद्देनजर 3,200 अधिकारी, 15,200 पुलिसकर्मी, राज्य रिजर्व पुलिस बल के 1,500 कर्मी, होमगार्ड के 1,000 जवान, 20 त्वरित कार्रवाई दल और 15 बम रोधी दस्ते तैनात किए गए हैं.
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कार-ट्रेन और बसों में भरकर लाए गए शिवैसनिक
दशहरा रैली के लिए मध्य महाराष्ट्र के नांदेड़ शहर से एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने एक ट्रेन बुक की थी, जो बुधवार दोपहर मुंबई के लोकमान्य तिलक टर्मिनस पहुंच गई है. एकनाथ शिंदे गुट ने कम से कम 3,000 प्राइवेट बसें, करीब 4,000 कैब का इंतजाम किया था. उद्धव ठाकरे गुट ने रैली में भाग लेने वालों को शिवाजी पार्क लाने के लिए 700 बसें बुक की थीं. मुंबई ट्रैफिक पुलिस ने दशहरा रैलियों के लिए शिवाजी पार्क और बांद्रा कुर्ला परिसर में पार्किंग के लिए जरूरी व्यवस्था की है. अब देखने वाली बात यह है कि शिवसैनिक अपने पुराने नेता उद्धव ठाकरे पर भरोसा जताते हैं या वे भी एकनाथ शिंदे के साथ सत्ता परिवर्तन में भरोसा रखते हैं.
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