बांग्लादेश में हो रही बगावात को लेकर भारत में भी राजनीतिक प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं. विपक्ष के नेता केंद्र सरकार को नसीहत देते हुए नजर आ रहे हैं. वहीं शिवसेना सांसद संजय राउत ने बांग्लादेश की घटना को लेकर टिप्पणी की है. संजय राउत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि शेख हसीना बांग्लादेश के प्रधानमंत्री के रूप में विफल साबित हुईं, साथ ही शेख हसीना पर बांग्लादेश को तानाशाही रूप से चलाने का आरोप लगाया है.
लाखों की तादाद में लोग
दरअसल, बांग्लादेश में 15 साल तक प्रधानमंत्री रहने के बाद शेख हसीना को पद छोड़कर देश से भागना पड़ा. शेख हासीना के खिलाफ बांग्लादेश की जनता सड़कों पर आ गई थी. ढाका की सड़कों पर लाखों की तादाद में लोग शेख हसीना के खिलाफ प्रर्दशन कर रहे थे.
लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही
शेख हसीना को लेकर संजय राउत से जब सवाल किए गए तो उन्होंने कहा ' शेख हसीना और बांग्लादेश के राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर्रहमान के साथ भारत के अच्छे संबंध रहे हैं. इसके साथ उन्होंने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि शेख हसीना ने लोकतंत्र की आड़ में बांग्लादेश में तानाशाही की है.
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अंतरिम सरकार गठन का ऐलान
आगे उन्होंने ने कहा 'लोकतंत्र के आड़ में तनाशाही ज्यादा दिन देश की जनता नहीं चलने देती है'. बांग्लादेश में जो कुछ हो रहा है, उससे भारत के नेताओं को सबक लेना चाहिए. दरअसल, आरक्षण को लेकर बांग्लादेश की जनता सड़क पर उतर गई है. वहीं शेख हसीना के बाद वहां की सेना ने अंतरिम सरकार गठन का ऐलान कर दिया है.
शेख हसीना ने जैसे ही देश छोड़ा वहां के लोगों ने उनके घर और प्रधानमंत्री आवास पर हमला कर दिया और तोड़-फोड़ शुरू कर दी. लोगों ने शेख हसीना के पिता 'शेख मुजीबुर्रहमान' की मुर्ती को भी तोड़ दिया है.
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