मुंबई के सिंधुदुर्ग में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा टूटने के मामले ने तूल पकड़ लिया है. इस मामले में रविवार को महा विकास अघाडी (एमवीए) ने प्रतिमी टूटने को लेकर प्रदर्शन का आयोजन किया. एनसीपी (एसपी) सुप्रीमो शरद पवार, शिवसेना (यूबीटी) चीफ उद्धव ठाकरे, पार्टी नेता आदित्य ठाकरे और संजय राउट समेत महाराष्ट्र कांग्रेस के चीफ नाना पटोले ने भी इस प्रोटेस्ट में भाग लिया.
क्या है 'जोडे मारो' प्रोटेस्ट
शिव सेना (यूबीटी), एनसीपी (एसपी) और कांग्रेस ने रविवार को 'जोडे मारो' यानी चप्पल मार या जूता मार प्रोटेस्ट शुरू किया. यह प्रदर्शन महायुति सरकार के खिलाफ किया गया. इसमें शिव सेना, बीजेपी और एनसीपी शामिल है. इस प्रदर्शन रैली को हुतात्मा चौक से गेट ऑफ इंडिया तक निकाला गया. महा विकास अघाड़ी के आह्वान पर आयोजित इस प्रदर्शन को लेकर मुंबई पुलिस ने क्षेत्र में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए.
मुंबई में प्रदर्शन में लोगों को संबोधित करते हुए शरद पवार ने कहा कि छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा टूटना भ्रष्टाचार का उदाहरण है. तो वहीं, उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मामले पर माफी मांगने की अलोचना की और मांफी मांगने को "अहंकार" (Arrogant) बताया.
'हवाओं से मूर्ति कैसे गिर सकती है?'
उद्धव ने प्रतिमा गिरने को लेकर भाजपा नीत महायुति सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, "दो दिन पहले लोगों ने छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरते हुए और उसके बाद दिए गए बयानों को देखा. राजभवन समुद्र तट पर होने के बावजूद राज्यपाल की टोपी तक नहीं हिली. उनका दावा है कि प्रतिमा तेज हवाओं के कारण गिरी - यह कैसे संभव है?"
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मामला क्या है?
दरअसल, मुंबई के सिंधुदुर्ग जिले में छत्रपति शिवाजी की एक 35 फीट लंबी प्रतिमा 26 अगस्त को गिर गई. यह प्रतिमा पिछले साल बनी थी और इसका अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही किया था. पुलिस ने संरचना सलाहकार को इस मामले में गिरफ्तार कर लिया है. उस पर दूसरों की सुरक्षा को खतरे में डालने का केस दर्ज किया गया है.
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