डीएनए हिंदी: भारतीय जनता पार्टी (BJP) में धीरे-धीरे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) का कद घटने लगा है. बीजेपी के संसदीय बोर्ड (BJP Parliamentary Board) से हाल ही में बाहर हुए शिवराज की मुश्किलें अब उनकी ही पार्टी के दिग्गज नेता बढ़ा रहे हैं. ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि अब उनके लिए बीजेपी विदाई की पटकथा तैयार कर रही है. शिवराज सिंह चौहान 4 बार के मुख्यमंत्री रहे हैं. बीजेपी के कई गुट उनसे सख्त नाराज नजर आ रहे हैं. ऐसे समीकरण बन रहे हैं कि जल्द की केंद्रीय नेतृत्व को इस गुटबाजी पर नियंत्रण के लिए दखल देना पड़ सकता है.
29 अगस्त को पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने एसपी राजेश सिंह चंदेल के खिलाफ एक्शन लेने की मांग की. दोष यह है कि मंत्री की अनुमति के बिना एसपी राजेश सिंह चंदेल ने कई पुलिस इंसपेक्टरों का ट्रांसफर कर दिया था. उन्होंने राज्य में अनियंत्रित नौकरशाही के लिए मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को दोषी ठहराया.
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अपने ही मंत्रियों के निशाने पर हैं शिवराज सिंह चौहान
इकबाल सिंह बैंस बहाना हैं. असली निशाना शिवराज सिंह चौहान की ओर है. आरोप लगाया जा रहा है कि ब्यूरोक्रेसी की कमान ही शिवराज सिंह के हाथों से फिसल चुकी है. यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि राज्य बीजेपी में नए समीकरण बन रहे हैं. शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ नई लॉबी तैयार हो रही है. इस लॉबी में कभी एक-दूसरे के धुर विरोधी माने जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया और कैलाश विजयवर्गीय भी हैं.
इंदौर को कैलाश विजयवर्गीय का अघोषित गढ़ कहा जाता है. इसी शहर में मध्य प्रदेश क्रिकेट बोर्ड की वार्षिक बैठक हो रही थी. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंच से ही कैलाश विजयवर्गीय को बुलाया. उन्होंने विजयवर्गीय के साथ मंच साझा किया.
नई दोस्ती बिगाड़ सकती है शिवराज का खेल!
दोनों की दोस्ती गाढ़ी हो रही है. कुछ दिनों पहले ही ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने बेटे महाआर्यमन सिंधिया के साथ कैलाश विजवर्गीय के इंदौर स्थित आवास पर पहुंचे थे.शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ सार्वजनिक स्वास्थ्य और इंजीनियरिंग राज्य मंत्री बृजेंद्र सिंह यादव ने भी मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने हाल ही में राज्य सहकारी समिति आयुक्त को एक पत्र भेजकर अशोक नगर के जिला कलेक्टर के खिलाफ नियुक्तियों में अनियमितताओं की जांच की मांग की थी.
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जिन दोनों मंत्रियों ने अधिकारियों पर अनियमितताओं का आरोप लगाया है वे ज्योतिरादित्य के करीबी और वफादार माने जाते हैं. ये वही मंत्री हैं जो कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए हैं. इन लोगों ने कमलनाथ सरकार गिराने में अहम भूमिका निभाई थी.
'नए घोटाले ने भी बढ़ाई सीएम शिवराज सिंह चौहान की टेंशन'
ये मुसीबतें कम थीं कि कांग्रेस ने मध्य प्रदेश एजी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग के तहत ‘पोषण आहार या पूरक पोषाहार योजना’ में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. दरअसल एजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्य सामग्री के परिवहन के रिकॉर्ड में जिन ट्रक का जिक्र किया गया है, वे परिवहन विभाग के पोर्टल में जांच करने पर मोटरसाइकिल और कार निकले. योजना में कथित अनियमितताओं और राशन वितरण की तुलना बिहार के कुख्यात चारा घोटाले से करते हुए कांग्रेस ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे की मांग की है.
'...पार्टी के लिए दरी भी बिछाने को तैयार शिवराज, पर कुतरने से डर नहीं'
शिवराज सिंह चौहान के पर कुतरे जा सकते हैं. संसदीय बोर्ड से बाहर निकाले जाने पर उन्होंने कहा था कि मुझे बिल्कुल भी अहम नहीं है कि मैं ही योग्य हूं. पार्टी मुझे दरी बिछाने का काम देगी तो राष्ट्र हित में यह करूंगा. पार्टी मझे जहां रहने को कहेगी मैं वहीं रहूंगा.
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क्या शिवराज की रिटायरमेंट प्लान कर रही है बीजेपी?
हालांकि अभी आधिकारिक तौर पर यह नहीं कहा जा सकता है कि शिवराज सिंह चौहान की रिटायरमेंट बीजेपी प्लान कर रही है. पार्टी नेताओं का कहना है कि 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव उन्हीं के नेतृत्व में लड़े जाएंगे. जब साल 2020 में कांग्रेस की सरकार गिरी तो बीजेपी को फिर से बांधने वाले नेता वही थे. ऐसे में पार्टी उन्हें निराश नहीं कर सकती है.
मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा भी इशारा कर रहे हैं शिवराज सिंह चौहान ही मुख्यमंत्री पद पर बने रहेंगे, उन्हें हटाया नहीं जाएगा. नरोत्तम मिश्रा उन नेताओं में शुमार रहे हैं जिन्हें स्पष्ट कहने की आदत है. उन्हें कुछ छिपाना नहीं आता है.
क्या सच में शिवराज को है सोचने की जरूरत?
अगर शिवराज सिंह चौहान की कार्यशैली पर गौर करें तो उन्हें अपनी योजनाओं के जोर-शोर से प्रचार करने के लिए जाना जाता है. वह केंद्र सरकार की योजनाओं के अपडेट लगातार भेजते रहे हैं. बीजेपी को उनकी काम करने के तरीके से भी परहेज नहीं है. ऐसे में उनका पद स्थिर रखा जा सकता है.
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कुछ बीजेपी नेताओं का कहना है कि सिर्फ संसदीय बोर्ड से बाहर निकाले जाने को ही पर कुतरने के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए. उनके पास सीएम जैसा महत्वपूर्ण पद पहले से है. ऐसे में पार्टी के किसी दूसरे मजबूत सिपाही को संसदीय बोर्ड में भेजने का फैसला गलत नहीं है. नए लोगों को भी अवसर मिलना चाहिए. ऐसे में अभी स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट, शिवराज गुट पर भारी पड़ रहा है.
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