Attack on Gurudwara: अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा तय की जाए, सिख संगठनों की UN से मांग

Written By रवींद्र सिंह रॉबिन | Updated: Jun 20, 2022, 12:18 AM IST

अफगानिस्तान में शनिवार को गुरुद्वारे पर हुआ हमला

अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर सिख संगठनों ने चिंता जताई है. काबुल में शनिवार को गुरुद्वारे पर हमला किया गया था.

डीएनए हिंदी: यह महसूस करते हुए कि धार्मिक स्थल हर देश में लोगों के इतिहास, सामाजिक ताने-बाने और परंपराओं के प्रतिनिधि हैं, यूनाइटेड नेशन्स यूनिवर्सल डिक्लेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि धार्मिक स्थल और सभी पूजा स्थल सुरक्षित होने चाहिए. धार्मिक स्थल किसी भी तरह के आतंक और रक्तपात की जगह नहीं होने चाहिए लेकिन दुर्भाग्य से धार्मिक स्थल धार्मिक रूप से प्रेरित घृणा का एक फ्लैश प्वाइंट बन गए हैं और आतंकवादियों द्वारा बार-बार निशाना बनाए जा रहे हैं.

शनिवार को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल स्थित गुरुद्वारा दशमेश पिता गुरु गोबिंद सिंह पर हुए कायरतापूर्ण आतंकी हमले में एक सिख युवक सविंदर सिंह और एक स्थानीय गार्ड अहमद की मौत हो गई. गुरुद्वारे से भागने से पहले आतंकियों ने पवित्र स्थान की इमारत को आग भी लगा दी. रिपोर्टों से पता चलता है कि इस हमले में कुछ सिख घायल हो गए हालांकि श्री गुरु ग्रंथ साहिब के तीन सरूपों को सुरक्षित निकाल लिया गया.

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अफगानिस्तान में गुरुद्वारे पर हुए इस हमले के बाद एकबार फिर से सभी की निगाहें एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) पर टिकी हुई हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसके प्रस्ताव को सिखों की शीर्ष संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) और प्रमुख सिख पाठशाला दमदमी टकसाल दोनों के साथ लागू किया जाए. इन दोनों संस्थानों ने UN से अफगानिस्तान के छोटे से सिख और हिंदू समुदाय को सुरक्षित निकालने औऱ उनकी संपत्ति और धार्मिक स्थलों को सुरक्षित रखने की मांग की है.

एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी और दमदमी टकसाल के प्रमुख हरनाम सिंह खालसा ने संयुक्त राष्ट्र से अफगानिस्तान में सिखों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पहल करने का आह्वान किया है. 

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अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों के लिए स्थिति और जीवन के सामने खतरे और कछुए की गति से सरकारी कार्यवाही को देखते हुए, एक व्यापारी और परोपकारी व्यक्ति से सांसद बने विक्रम साहनी ने शेष 164 सिखों और हिंदुओं को काबुल से निकालने की पेशकश की है. मीडिया से बात करते हुए विश्व पंजाबी संगठन साहनी ने कहा कि पूर्व में WPO ने अफगानिस्तान से सिखों और हिंदुओं को निकालने के लिए 3 चार्टर्ड उड़ानें भेजी थीं. उन्होंने कहा, "इसी तरह शेष सिखों और हिंदुओं को एक चार्टर्ड विमान भेजकर अफगानिस्तान से वापस लाने के लिए तैयार हैं लेकिन हमें सरकार की जरूरत है कि उन्हें जल्द से जल्द ई वीजा जारी किया जाए."

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गुरुद्वारे हमेशा की आतंकवादियों के लिए हमले का आसान स्थान होते हैं क्योंकि वहां बड़ी लोग प्रार्थना करने और धार्मिक सेवाएं देने के लिए इकट्ठा होते हैं.भारत में अफगान हिंदू/सिखों और अधिकारियों के बीच सेतु का काम करने वाले इंडिया वर्ल्ड फोरम के प्रेजिडेंट पुनीत सिंह चंडोक ने अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों के सौ से अधिक सदस्यों को वीजा जारी करने के लिए भारत सरकार को धन्यवाद देते हैं. वो कहते हैं कि यूएन को अल्पसंख्यक लोगों, उनकी प्रापर्टी और धार्मिक स्थानों को सुरक्षा मुहैया करवानी चाहिए.काबुल के गुरुद्वारे पर हुए हमले पर चिंता व्यक्त करते हुए सिख संस्था यूनाइटेड सिख्स ने कहा कि वे सिख पहचान, संस्कृति और धर्म उनके विशिष्ट रूप और आतंकवादियों के घृणा-प्रेरित और दुर्भावनापूर्ण उद्देश्यों के कारण विश्व स्तर पर जारी हमलों को लेकर चिंतित हैं.

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