सौम्या से लेकर जिगिशा और जेसिका लाल से नीतीश कटारा तक: दो-दो केसों में शामिल रहनेवाले गुनहगार

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Oct 19, 2023, 03:00 PM IST

टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन (बाएं ऊपर), जिगिशा घोष (दाएं ऊपर), जेसिका लाल (नीचे बाएं) और नीतीश कटारा.

Famous murder cases of Delhi: दिल्ली के कुछ चर्चित हत्याकांड हैं जेसिका लाल, नीतीश कटारा, सौम्या विश्वनाथन और जिगिशा घोष. खास बात यह है कि जिगिशा घोष और सौम्या विश्वनाथन केस में कॉमन मुजरिम हैं और इसी तरह जेसिका लाल और नीतीश कटारा केस में विकास यादव शामिल रहा है. पढ़ें विस्तार से.

डीएनए हिंदी : दिल्ली की टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन के मुलजिमों को दोषी करार दिया जा चुका है. अब इन हत्यारों की सजा पर फैसला 26 अक्टूबर को होना है. सौम्या की हत्या में जिन 5 मुलजिमों को दोषी करार दिया गया है वे हैं - रवि कपूर, अमित शुक्ला, अजय कुमार, बलजीत मलिक और अजय सेठी. बता दें कि रवि कपूर और अमित शुक्ला को निचली अदालत ने दिल्ली में हुए जिगिशा घोष हत्याकांड में फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे दिल्ली हाई कोर्ट ने 2016 में उम्रकैद में बदल दिया. 

इसी तरह दिल्ली में हुए जेसिका लाल हत्याकांड और नीतीश कटारा हत्याकांड के मुजरिम भी एक ही हैं. इन दोनों केसों में विकास यादव वह मुजरिम है, जिसे कोर्ट ने सजा सुनाई है. जेसिका लाल हत्याकांड में जमानत पर बाहर आए विकास यादव ने अपने चचेरे भाई विशाल यादव के साथ नीतीश कटारा की हत्या की थी. इस केस में विकास यादव और विशाल यादव को आवजीवन कैद की सजा सुनाई गई थी जबकि इन दोनों के सहयोगी सुखविंदर पहलवान को 20 साल की.

सौम्या विश्वनाथन हत्याकांड
25 साल की टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या 30 सितंबर 2008 को साउथ दिल्ली के वसंत कुंज में की गई थी. यह एक ब्लाइंड मर्डर केस था. शुरुआती जांच में पुलिस ने इसे रोड एक्सिडेंट का केस माना था. लेकिन सौम्या की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चला कि उसकी मौत सिर में गोली लगने से हुई थी. 

15 साल बाद दोषी सिद्ध
सौम्या विश्वनाथन की हत्या 30 सितंबर 2008 में उस समय कर दी गई थी, जब वह अपनी कार से ऑफिस से घर लौट रही थी. इस हत्या से बेहद हंगामा मचा था. इस केस में 15 साल बाद मुलजिमों को दोषी साबित किया जा सका है. सौम्या केस में कोर्ट ने जब पांचों आरोपियों को दोषी बताया तो सौम्या की मां बेहद भावुक दिखाई दीं. उन्होंने कहा, मेरी बेटी जा चुकी है, लेकिन यह फैसला एक सबक जैसा होगा, जो दूसरों को ऐसा करने से रोकेगा. ऐसा नहीं होने पर वे लोग और ज्यादा प्रेरित होते. कम से कम अब इस तरह की हरकतें करने वाले गैंग का एक हिस्सा तो इससे बाहर हो गया है. उन्होंने कहा कि हत्यारों को उम्रकैद से कम सजा नहीं मिलनी चाहिए.

ऐसे पकड़े गए मुलजिम
हालांकि यह ब्लाइंड केस था. शुरुआती जांच में इसे रोड एक्सिडेंट का केस बताया गया था, लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और फॉरेंसिक जांच में यह बात सामने आई कि सौम्या की मौत सिर के पिछले हिस्से में गोली लगने से हुई है. इस हत्याकांड के लगभग 6 महीने बाद वसंत कुंज इलाके के करीबी वसंत विहार में ही आईटी प्रोफेशनल जिगिशा घोष की हत्या रात के वक्त कर दी गई थी. इस कांड के मुलजिमों के पकड़े जाने के बाद उन्होंने स्वीकार किया था कि सौम्या विश्वनाथन की हत्या उन्होंने ही की थी.

जिगिशा घोष हत्याकांड
आईटी प्रोफेशनल जिगिशा घोष की हत्या 18 मार्च 2009 को की गई थी. उस दिन वह एक अमेरिकी प्रोजेक्ट के लिए प्रेजेंटेशन खत्म करने के बाद ऑफिस कैब से घर लौट रही थीं. ऑफिस कैब ने देर रात उन्हें उनके घर के पास उतारा था. वहीं से आरोपियों ने जिगिशा का अपहरण कर लिया था और लूटपाट के बाद उनकी हत्या कर दी थी. इस मामले में पुलिस ने रवि कपूर, अमित शुक्ला और बलजीत मलिक को गिरफ्तार किया था. 

फांसी और उम्रकैद
निचली अदालत ने जिगिशा घोष हत्याकांड में रवि कपूर और अमित शुक्ला को फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे दिल्ली हाई कोर्ट ने 2016 में उम्रकैद में बदल दिया. जबकि तीसरे मुजरिम बलजीत मलिक की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी. 

जेसिका लाल हत्याकांड
जेसिका लाल की हत्या 29 अप्रैल 1999 को महरौली की कुतुब कोलोनेड हवेली के अंदर तंबरिंड बार में हुई थी. दिल्ली की हाई क्लास सोसायटी में पहचान रखने वाली बीना रमानी इस रेस्टोरेंट की मालिक थीं. वो और उनके पति जॉर्ज मेलहॉट मिलकर रेस्टोरेंट चलाया करते थे. इसी बार में शराब न मिलने से बौखलाए मनु शर्मा ने गोली मारकर जेसिका लाल की हत्या कर दी थी. इस वक्त मनु शर्मा के साथ विकास यादव, अमरदीप गिल और आलोक खन्ना भी थे. कुतुब कोलोनेड में खचाखच लोग भरे थे.

नो वन किल्ड जेसिका
इस केस में गिरफ्तार मुलजिमों पर 6 साल मुकदमा चला, लेकिन 21 फरवरी 2006 को इस हाई प्रोफाइल केस में अदालत ने सभी को रिहा कर दिया. रिहा होने की खबर अगले दिन मीडिया की सुर्खियों में थी. दिल्ली के एक अंग्रेजी दैनिक ने इस खबर की हेडिंग बनाई - नो वन किल्ड जेसिका. इसके बाद इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए फिर से जांच करने का निर्देश जांच एजेंसी को दिया.

हाई कोर्ट का फैसला
बाद में यह केस हाई कोर्ट में चला और हाई कोर्ट ने लगातार 25 दिनों तक इस केस की सुनवाई की. इसके बाद लोवर कोर्ट के फैसले को बदलते हुए 20 दिसंबर 2006 को मनु शर्मा को आजीवन कारावास और विकास यादव को 4 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई.

नीतीश कटारा हत्याकांड
नीतीश कटारा की हत्या 17 फरवरी 2002 को की गई थी. ऑनर किलिंग के इस केस में दिल्ली के फास्ट ट्रैक कोर्ट ने विकास यादव और विशाल यादव को आजीवन कैद की सजा सुनाई गई थी जबकि इन दोनों के सहयोगी सुखविंदर पहलवान को 20 साल की. इस फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी. 2014 में हाई कोर्ट ने विकास और विशाल की सजा बरकरार रखी. इस फैसले के खिलाफ फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई. 2016 सुप्रीम कोर्ट ने दोनों की सजा 25 साल कर दी.

जमानत पर रहते हुए किया यह कांड
दरअसल डीपी यादव की बेटी भारती यादव और नीतीश कटारा में करीबी रिश्ते थे. यह बात यादव परिवार को मंजूर नहीं थी. डीपी यादव के बड़े बेटे विकास यादव ने इस मामले में कई बार नीतीश को धमकाया कि वह भारती से दूर रहे. बावजूद नीतीश और भारती आपस में बात करते रहे. 17 फरवरी 2002 को गाजियाबाद के एक शादी समारोह में डीपी यादव का पूरा परिवार पहुंचा था. यहां नीतीश कटारा भी आया हुआ था. यहीं से रात 12:30 बजे विकास यादव और उसके चचेरे भाई विशाल यादव ने नीतीश कटारा का अपहरण कर लिया और उसकी हत्या कर दी. खास बात यह है कि इस हत्याकांड के वक्त विकास यादव जेसिका लाल हत्याकांड में जमानत पाकर बाहर आया था और आते ही उसने यह नया कांड कर दिया.

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