डीएनए हिंदी: समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान (Azam Khan) को स्पेशल अदालत से भी राहत नहीं मिली है. सरकारी लेटर हेड और मोहर का गलत इस्तेमाल करके वैमनस्यता फैलाने के मामले में आरोपी आजम खान की ओर से दाखिल डिस्चार्ज अर्जी को सांसदों-विधायकों के खिलाफ लंबित मुकदमों की सुनवाई के लिए बनी विशेष अदालत ने खारिज कर दिया है. इसके साथ ही विशेष अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अम्बरीश कुमार श्रीवास्तव ने आरोप तय करने के लिए 12 सितंबर की तारीख तय की है.
आजम खान की ओर से दाखिल डिस्चार्ज अर्जी का विरोध करते हुए सहायक अभियोजन अधिकारी की दलील थी कि इस मामले में वादी साल 2014 से रिपोर्ट दर्ज कराने का प्रयास कर रहा था. उन्होंने कहा कि आरोपी ने जनता की भावनाओं को भड़काने और समुदाय विशेष को विभिन्न समुदायों के खिलाफ अपराध करने के लिए प्रेरित करने का काम किया था, जो भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत आपराधिक कृत्य है.
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12 सितंबर को तय किए जाएंगे आरोप
अभियोजन अधिकारी की यह भी दलील दी थी कि आरोपी आजम खान ने पद पर रहते हुए जानबूझकर धार्मिक उन्माद फैलाने, प्रदेश और देश की जनता की भावनाओं को भड़काने और व्यक्तियों, संस्थाओं तथा वादी की छवि धूमिल करने का पूरा प्रयास किया. अदालत ने दलीलों को सुनने के बाद आजम खान की अर्जी को खारिज करते हुए कहा कि पत्रावली पर मौजूद साक्ष्यों को देखते हुए अभियुक्त के खिलाफ आरोप तय करने के पर्याप्त आधार हैं लिहाजा अभियुक्त के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पत्रावली 12 सितंबर को पेश की जाए.
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पत्रावली के अनुसार, वादी अल्लामा जमीन नकवी ने हजरतगंज थाने में 1 फरवरी 2019 को आजम खान के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया कि घटना 2014 से संबंधित है लेकिन तत्कालीन सरकार के प्रभाव में उसकी रिपोर्ट दर्ज नहीं की जा रही थी. आजम खान पर आरोप है कि आजम खान सरकारी लेटर हेड और सरकारी मोहर का दुरुपयोग करके भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और मौलाना सैयद कल्बे जावाद नकवी को बदनाम करके राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी छवि धूमिल कर रहे थे.
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