डीएनए हिंदी: भारत के पूर्व न्यायाधीश और नौकरशाहों समेत 260 से अधिक प्रतिष्ठित हस्तियों ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर उनसे सनातन धर्म को नष्ट करने वाली डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन की टिप्पणी पर संज्ञान लेने का अनुरोध किया है. सीजेआई को पत्र लिखने वालों में दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एस एन ढींगरा भी शामिल हैं.
प्रतिष्ठित हस्तियों ने पत्र में कहा है कि उदयनिधि स्टालिन ने न केवल घृणा भरा भाषण दिया, बल्कि उन्होंने अपनी टिप्पणियों के लिए माफी मांगने से भी इनकार कर दिया. यह पत्र 262 लोगों ने लिखा है. इसमें कहा गया है कि पत्र में हस्ताक्षर करने वाले लोग स्टालिन द्वारा की गई टिप्पणियों से बहुत चिंतित हैं और ये टिप्पणियां निर्विवाद रूप से भारत की एक बड़ी आबादी के खिलाफ घृणा भाषण के बराबर हैं. भारत के संविधान की मूल भावना पर प्रहार करती हैं जिसमें भारत की एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में परिकल्पना की गई है.
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'तमिलनाडु सरकार ने की कोर्ट के आदेश की अवमानना'
पत्र में कहा गया है कि देश के धर्मनिरपेक्ष चरित्र की रक्षा करने के लिए इस पर कदम उठाने की आवश्यकता है. इसमें कहा गया है कि बेहद गंभीर मुद्दों पर कदम उठाने को लेकर प्रशासन की ओर से किसी तरह का विलंब अदालत की अवमानना को आमंत्रित करेगा. पत्र में कहा गया है कि राज्य सरकार ने कार्रवाई करने से इनकार कर दिया है और अदालत के आदेश की कथित अवमानना का काम किया और कानून के शासन को कमजोर कर दिया है या यूं कहें कि इसका मजाक बना दिया है.’
सुप्रीम कोर्ट से उचित कार्रवाई करने का अनुरोध
इसमें कहा गया कि हम सुप्रीम कोर्ट से अवमानना पर स्वत: संज्ञान लेने, तमिलनाडु सरकार द्वारा कार्रवाई न किए जाने के लिए उसे जवाबदेह ठहराने और हेट स्पीच को रोकने, सार्वजनिक व्यवस्था एवं शांति बनाए रखने के लिए निर्णायक कदम उठाने का अनुरोध करते हैं और हम आपसे तत्काल उचित कार्रवाई करने का अनुरोध करते हैं. पत्र में कहा गया कि हम उम्मीद करते हैं कि हमारी याचिका पर विचार किया जाएगा और हम न्याय तथा कानून का शासन सुनिश्चित करने के लिए तत्काल उपाय करने का अनुरोध करते हैं.
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गौरतलब है कि मंत्री एम के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि ने तमिलनाडु प्रगतिशील लेखक और कलाकार संघ की शनिवार को चेन्नई में हुई एक बैठक को संबोधित करते हुए ‘सनातन धर्म’ की तुलना कोरोना वायरस, मलेरिया और डेंगू के बुखार से की थी और कहा था कि ऐसी चीजों का विरोध नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि इन्हें नष्ट कर देना चाहिए. (इनपुट- भाषा)
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