कहा जाता है कि भारत विविधताओं का देश हैं यहां कई तरह की पंरपराओं को मानने वाले लोग रहते हैं. इसी का बखान करती एक प्रचिलित कहावत है. 'कोस-कोस पर बदले पानी, चार कोस पर वाणी' इस कहावत का मतलब है कि ये एक ऐसा देश है जहां पर एक कोस के बाद पानी का स्वाद बदल जाता है, वहीं चार कोस के बाद बोल-चाल की भाषा में परिवर्तन दिखता है. एक कोस का मतलब दो मील (लगभग 3.22 किलोमीटर) होता है.
आज हम आपको परंपराओं को आधार मानने वाले इस देश के एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां की परंपरा है कि यहां का हर मर्द दो विवाह करता हैं और तीनों पति पत्नी एक छत के नीचे एक साथ रहते हैं. इसके विपरीत अक्सर देखा जाता है कि दो पत्नियां घर में कलेश का कारण बनती हैं, बल्कि कहीं-कहीं तो दो विवाह अनुचित होते हैं.
लेकिन हम जिस गांव की बात कर रहे हैं वहां ऐसा नहीं हैं. इस गांव में दो शादियां करना अच्छा माना जाता है. हम राजस्थान के जैसलमेर में रेतों के बीच बसे ‘रामदेयो की बस्ती’ गांव की बात कर रहे हैं. इस पंरपरा के पीछे एक मान्यता है या अंधविश्वास ये हम नहीं कह सकते.
दरअसल इस गांव के लोगों का मानना है कि अगर पुरुष एक ही शादी करता है तो उसके या तो कोई संतान ही नहीं होगी या फिर सिर्फ बेटी ही होगी. ऐसे में बेटे की चाहत रखने के लिए लोग दूसरी शादी खुशी-खुशी करते हैं. यानी कुलमिलाकर मानना ये हैं कि अगर दूसरी शादी होती है तो घर में लड़के का जन्म होना लगभग तय है.
हैरानी की बात तो ये है कि जहां अमूमन दो बीबियां होने पर आपस में झगड़ा होता है. वहीं इस गांव में दोनों पत्नियां बहनों की तरह एक ही परिवार में एक ही छत के नीचे खुशी-खुशी रहती हैं. दोनों के बीच किसी भी तरह का कलेश देखने को नहीं मिलता है.
एक रिपोर्ट ने ये भी दावा किया है कि अब इस गांव के नए युवा इस परंपरा से दूर रहा पंसद कर रहे हैं. इस गांव के लोग इस परंपरा को अब कुछ खास ज्यादा महत्व नहीं देते हैं. वो इस रिवाज से कोई भी ताल्लुक नहीं रखना चाहते. बताते चले कि भारत में कई ऐसे गांव भी है जहां पर शादी के पहले बच्चे करने की या फिर साल में पांच दिन बिना कपड़ो के रखने की भी मान्यताओं पर आधिरित हैं.
ख़बर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगल, फेसबुक, x, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.