डीएनए हिंदी: गृहयुद्ध ग्रस्त अफ्रीकी देश सूडान से सुरक्षित निकाले गए नंदिश राजू ने वहां के मंजर को बयां किया है. उन्होंने बताया कि राजधानी खार्तूम की सड़कों पर सूडान की सेना और अर्धसैनिक बल आपस में लड़ रहे थे और वहां से निकलने से पहले वह सात अन्य लोगों के साथ भूतल में छिपे हुए थे. राजू ने बताया कि हम बहुत मुश्किल स्थिति थे. हम लोग आठ दिन तक टॉयलेट का पानी पीते रहे और आसपास एरिया में बम फट रहे थे.
नंदिश राजू ने कहा कि भारतीय दूतावास ने हमें निकाला और सुरक्षित स्थान पर ले गया. हम सभी को खाने-पीने की व्यवस्था की गई. सूडान में अप्रैल के मध्य में लड़ाई शुरू हुई थी और भारत ने अब तक लगभग 1,950 भारतीयों को वहां से निकाला है और अन्य को निकालने की कोशिश की जा रही है. वहीं, हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर निवासी 26 वर्षीय अग्निहोत्री गुरुवार को स्वदेश पहुंचे. उन्होंने बताया, ‘हम भारतीय दूतावास के संपर्क में थे और जब हमें निकलने की अनुमति मिली तो हम सूडान के बंदरगाह पहुंचे.’
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सूडान में 2019 से एक आईटी कंपनी में काम कर रहे अग्निहोत्री ने बताया कि बदंरगाह से हमारे नियोक्ता ने नाव की व्यवस्था की जिसके जरिये हम जेद्दा (सऊदी अरब) पहुंचे. उन्होंने बताया, ‘जब लड़ाई शुरू हुई तब हम अपने अपार्टमेंट में थे, लेकिन धीरे-धीरे सामान की आपूर्ति घटती गई. इसके बाद जो कुछ भी हमारे पास था, उसे लेकर हम इमारत के भूतल में बने कमरे में चले गए.’ अग्निहोत्री ने बताया कि हमारे पास केवल पर्याप्त मात्रा में पानी और गैस था जिससे खाना बना सकते थे. अधिकारियों ने जैसे ही हमें अनुमति दी हम सूडान बंदरगाह पहुंच गए.’
अब तक 425 लोगों की मौत
उन्होंने बताया कि जेद्दा पहुंचने के बाद उन्हें और अन्य को भारतीय वायुसेना के मालवाहक विमान से स्वदेश लाया गया. सुरक्षित ढंग से स्वदेश वापसी करने के लिए मैं भारत सरकार को धन्यवाद देता हूं.’ अग्निहोत्री ने बताया, ‘वहां तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न होने पर मेरी पत्नी 31 मार्च को भारत लौट आई थीं.’ उन्होंने कहा कि अफ्रीकी देश में हालात लगातार खराब हो रहे हैं. गौरतलब है कि सूडान में सेना और अर्धसैनिक बल के बीच गत 15 दिनों से लड़ाई जारी है. देश में हिंसा से मरने वालों की संख्या 425 से अधिक हो गई है, जबकि 2,091 लोग घायल हुए हैं. (भाषा इनपुट के साथ)
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