डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की बगावत को एक साल से ज्यादा हो गया है. उसी समय उद्धव ठाकरे ने 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए विधानसभा स्पीकर से अपील की थी. इस पर स्पीकर राहुल नार्वेकर ने अभी तक फैसला नहीं किया है. इसी को लेकर उद्धव ठाकरे गुट सुप्रीम कोर्ट तक गया. अब सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर को कह दिया है कि वह 31 दिसंबर तक इस पर फैसला कर लें. यानी एकनाथ शिंदे और बीजेपी के गठबंधन की सरकार को फिलहाल 2 महीने का वक्त और मिल गया है. नियमों के मुताबिक, अगर इन विधायकों को दल-बदल कानून के उल्लंघन का दोषी पाया जाता है तो इनकी सदस्यता समाप्त की जाती है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विधानसभा के स्पीकर अजित पवार गुट के नौ विधायकों के मामले में 31 जनवरी और शिवसेना के बागी विधायकों की सदस्यता के मामले पर 31 दिसंबर तक फैसला करें. मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रक्रियात्मक उलझनों के कारण अयोग्यता संबंधी याचिकाओं पर फैसले में देरी नहीं होने देनी चाहिए. हाल ही में महाराष्ट्र के सचिवालय की ओर से दायर किए गए एक एफिडेविट में कहा गया था कि दिवाली की छुट्टियों और सदन के शीतकालीन सत्र के चलते इस पर फैसला 29 फरवरी 2024 को किया जाएगा.
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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जे पी पारदीवाला ने सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, 'हमने बार-बार स्पीकर को कहा कि वह 10वीं अनुसूची के तहत कार्यवाही पूरी करें. इसके लिए समय दिया. अब महाराष्ट्र सचिवालय के हलफनामे में कहा गया है कि अयोग्यता की याचिका वाले दो समूह- शिवसेना और एनीसीपी थे.'
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बता दें कि एकनाथ शिंदे ने जून 2022 में शिवसेना के मुखिया रहे उद्धव ठाकरे से बगावत कर दी थी और ज्यादातर विधायकों को अपने साथ लेकर चले गए थे. हालांकि, उद्धव ठाकरे गुट की ओर से 16 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की याचिका दायर की गई थी. इस साल जुलाई में अजित पवार ने इसी तरह से एनसीपी को तोड़ लिया और ज्यादातर विधायकों को लेकर सत्ता पक्ष के साथ चले गए. उनके खिलाफ शरद पवार गुट ने अयोग्यता की अर्जी दायर की है.
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