Two Finger Test पर नाराज हुआ सुप्रीम कोर्ट, कहा- ऐसा करने वालों को माना जाएगा दोषी

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Oct 31, 2022, 12:35 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी

Two Finger Test Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने टू फिंगर टेस्ट पर सख्त नाराजगी जताते हुए सरकारों से कहा है कि इसे तत्काल बंद करवाया जाए.

डीएनए हिंदी: किसी महिला का रेप हुआ है या नहीं, इसकी जांच के लिए किए जाने वाले टू फिंगर टेस्ट (Two Finger Test) पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई है. जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पहले भी टू फिंगर टेस्ट पर रोक लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केंद्र और राज्य सरकारें सुनिश्चित करें कि इस पर रोक लगाई जाए. इसके बावजूद, अगर कोई भी टू फिंगर टेस्ट करता है तो उसे कदाचार का दोषी माना जाएगा. कोर्ट ने साफ कहा है कि टू फिंगर टेस्ट का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.  

टू फिंगर टेस्ट पर साल 2013 में ही सुप्रीम कोर्ट ने बैन लगा दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संज्ञान में आया है कि रोक के बावजूद इसका इस्तेमाल किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मेडिकल कॉलेजों के स्टडी मैटेरियल से भी टू फिंगर टेस्ट को हटाया जाए. कोर्ट ने टिप्पणी की है कि यह टेस्ट पितृसत्तात्मक सोच पर आधारित है और यह ऐसा दर्शाता है कि सेक्शुअल इंटरकोर्स करने वाली महिला का रेप नहीं हो सकता है.

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केंद्र और राज्य सरकारों को दिए निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस टेस्ट का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है और इससे पीड़िता को फिर से उसी तरह की प्रताड़ना झेलनी पड़ती है. कोर्ट ने राज्य सरकारों के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी निर्देश दिया है कि इस बारे में सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों को एक गाइडलाइन जारी किया जाए. साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाए कि इस तरह के टेस्ट कहीं पर भी न किए जाएं.

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क्या है टू फिंगर टेस्ट?
टू फिंगर टेस्ट के ज़रिए यह कोशिश की जाती है कि महिला का रेप हुआ है या नहीं. इसमें, महिला की वजाइना में एक या दो उंगली डालकर वर्जिनिटी टेस्ट किया जाता है. अगर आसानी से दो उंगलियां जाएं तो महिला को सेक्शुअली ऐक्टिव माना जाता है और इसे ही महिला के वर्जिन होने या न होने का सबूत मान लिया जाता है. साल 2013 में ही इस पर बैन लगा दिया गया था क्योंकि इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.

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