'संघर्ष के लंबे इतिहास को देखते हुए बनी एक राय', अयोध्या फैसले पर बोले CJI

Written By कविता मिश्रा | Updated: Jan 01, 2024, 09:53 PM IST

Ram Mandir CJI DY Chandrachud

CJI DY Chandrachud on Ram Mandir: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि अयोध्या केस का फैसला जजों ने सर्वसम्मति से लिया था. इसके साथ उन्होंने सेम सेक्स मैरिज पर भी अहम टिप्पणी की.

डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने राम मंदिर पर हुए फैसले पर अहम टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि अयोध्या केस का फैसला जजों ने सर्वसम्मति से लिया था. इसके साथ सेम सेक्स मैरिज पर दिए फैसले को लेकर भी बात की. उन्होंने कहा कि  किसी मामले का नतीजा कभी भी जज के लिए पर्सनल नहीं होता है. एक बार जब आप किसी मामले पर फैसला कर लेते हैं तो आप नतीजों से खुद को दूर कर लेते हैं. आइए जानते हैं कि उन्होंने और कुछ क्या है. 

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सोमवार को न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा कि अयोध्या केस का फैसला जजों ने सर्वसम्मति से लिया था. उन्होंने कहा कि अयोध्या में संघर्ष के लंबे इतिहास और विविध पहलुओं को ध्यान में रखते हुए ही इस केस से जुड़े सभी जजों ने फैसले पर एक राय बनाई. सुप्रीम कोर्ट ने 17 अक्टूबर को समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया था लेकिन समलैंगिक लोगों के लिए समान अधिकारों और उनकी सुरक्षा की बात कही थी. इस पर डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि एक बार जब आप किसी मामले पर फैसला कर लेते हैं तो आप नतीजों से खुद को दूर कर लेते हैं. एक जज के तौर पर नतीजे कभी भी हमारे लिए पर्सनल नहीं होते. मुझे कोई पछतावा नहीं है.

ये भी पढ़ें: राम मंदिर उद्घाटन से पहले बीजेपी करेगी बड़ी बैठक, अमित शाह और जेपी नड्डा होंगे शामिल

अनुच्छेद 370 पर कही यह बात 

उन्होंने कहा कि एक जज के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा कभी भी खुद को किसी मुद्दे से नहीं जोड़ना होता है. मामले का फैसला करने के बाद, मैं इसे हमारे समाज के भविष्य पर छोड़ता हूं कि वह कौन सा रास्ता अपनाएगा. अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले और इसकी आलोचना पर उन्होंने कहा कि जज अपने फैसलों से अपनी बात कहते हैं, जो फैसले के बाद सार्वजनिक संपत्ति बन जाती है. एक स्वतंत्र समाज में लोग हमेशा इसके बारे में अपनी राय बना सकते हैं. जहां तक हमारा सवाल है तो हम संविधान और कानून के मुताबिक फैसला करते हैं. मुझे नहीं लगता कि मेरे लिए आलोचना का जवाब देना या अपने फैसले का बचाव करना उचित होगा. हमने अपने फैसले में जो कहा है वह हस्ताक्षरित फैसले में मौजूद कारण में प्रतिबिंबित होता है और मुझे इसे वहीं छोड़ देना चाहिए.

ये भी पढ़ें: Japan Earthquake: भूकंप के 21 झटकों से दहला जापान, 34 हजार घरों की बिजली गुल, अब भारी सुनामी का खतरा

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले पर सुनाया था फैसला 

सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को अयोध्या के राम मंदिर मामले पर फैसला सुनाया था. तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली विशेष बेंच ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया था. इस पीठ में जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (अब सीजेआई), जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर शामिल थे. सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में सरकार को तीन महीने के अंदर मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट बनाने, निर्माण की योजना बनाने और संपत्ति का प्रबंधन करने का निर्देश दिया था. फैसले में कहा गया था कि 2.77 एकड़ की पूरी विवादित भूमि हिंदुओं को मिलेगी. भूमि का कब्जा मुकद्दमे के अधीन संपत्ति के सरकारी प्रबंधकर्त्ता के पास रहेगा. मुस्लिमों को विकल्प के तौर पर किसी अन्य स्थान पर पांच एकड़ भूमि देने का फैसला सुनाया गया था.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.