डीएनए हिंदी: सु्प्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में कॉलेजियम ने सरकार के पास सिफारिश भेजी है. कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बी वराले की पदोन्नति की सिफारिश की गई है. जस्टिस वराले की नियुक्ति की पुष्टि हो जाती है, तो सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली बार ऐसा मौका होगा जब 3 जज दलित समुदाय के होंगे. 61 वर्षीय जस्टिस वराले इस वक्त देश के अकेले मुख्य न्यायधीश हैं जो दलित समुदाय से संबंध रखते हैं. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सीटी रविकुमार के रूप में सुप्रीम कोर्ट में पहले ही दो दलित जज हैं. जस्टिस वराले की नियुक्ति होती है तो वह तीसरे दलित जज होंगे.
जस्टिस गवई वरिष्ठता के आधार पर मई 2025 में भारत के मुख्य न्यायधीश भी बनेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वराले के नाम की सिफारिश की है जो इस वक्त हाई कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज हैं. 61 साल के जस्टिस वराले तीन दशक से ज्यादा वक्त से न्यायिक सेवाओं से जुड़े हुए हैं. महाराष्ट्र के औरंगाबाद में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट हैं. इससे पहले वह बॉम्बे हाई कोर्ट के भी जज रह चुके हैं. उन्होंने नागरिक अधिकार, आपराधिक रिकॉर्ड समेत कई मुद्दों पर वकालत भी की है.
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जस्टिस एसके कौल की जगह लेंगे जस्टिस वराले
जस्टिस वराले पिछले महीने रिटायर होने वाले जस्टिस एसके कौल की जगह लेंगे. जस्टिस कौल ने धारा 370, एम एफ हुसैन समेत कई महत्वपूर्ण केस में फैसला दिया है. जस्टिस वराले की नियुक्ति होने पर सुप्रीम कोर्ट 34 जजों की अपनी पूरी स्वीकृत क्षमता के साथ काम करेगी. इस महीने की शुरुआत में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाले कॉलेजियम ने भी सरकार को चार हाई कोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीशों के रूप में पांच नामों की सिफारिश की थी.
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कॉलेजियम सिस्टम की कई बार हो चुकी है आलोचना
कॉलेजियम सिस्टम के तहत हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति की आलोचना कई बार हो चुकी है. प्रशांत भूषण जैसे वरिष्ठ वकील इस व्यवस्था के पारदर्शी नहीं होने की शिकायत कर चुके हैं. इन आलोचनाओं पर कुछ दिन पहले चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि नियुक्ति की प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने के लिए हम कदम उठाएंगे. उन्होंने यह भी कहा था कि नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया को जनता के सामने नहीं रखा जा सकता है.
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