'आर्टिकल 370 खत्म करने में संवैधानिक उल्लघंन पाया तो देंगे दखल', सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Aug 18, 2023, 09:34 AM IST

supreme court

Article 370 Hearing: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह कहना सही नहीं कि अनुच्छेद 370 को संविधान का स्थायी दर्जा मिल गया है. संवैधानिक ढांचे में इसके स्थायित्व की स्थिति को नहीं माना जा सकता है.

डीएनए हिंदी: जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 (Article 370) को निरस्त किए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. इस कड़ी में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इस मामले में अहम टिप्पणी की. सर्वोच्च्च अदालत ने कहा कि आर्टिकल 370 निरस्त करने के दौरान अगर कोई संवैधानिक उल्लंघन पाया गया तो अदालत इसमें हस्तक्षेप करेगी. कोर्ट ने कहा कि यह कहना सही नहीं कि अनुच्छेद 370 को संविधान का स्थायी दर्जा मिल गया है. संवैधानिक ढांचे में इसके स्थायित्व की स्थिति को नहीं माना जा सकता है.

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सूर्यकांत की संविधान बेंच अनुच्छेद 370 पर सुनवाई कर रही है. अदालत में अनुच्छेद 370 निरस्त करने को लेकर याचिकाकर्ता के वकील दुष्यंत दवे की तरफ से दलील दी गई कि केंद्र सरकार ने महज राजनीतिक लाभ के लिए फैसला लिया था. केंद्र का यह फैसला संविधान के साथ धोखाधड़ी की तरफ इशारा करता है. 

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याचिकाकर्ता ने SC में दी ये दलील
उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 हटाने जाने के दौरान पूरे घटनाक्रम को देखें तो फैसले से पहले जम्मू कश्मीर की विधानसभा भंग कर दी गई थी. संसद के पास शक्ति के साथ राष्ट्रपति को भी अनुच्छेद 356 के तहत शक्ति हासिल थी. दवे ने आर्टिकल 370 के सब डिवीजन का हवाला देते हुए तर्क दिया कि सरकार के पास कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का अधिकार नहीं था. केंद्र सरकार ने संविधान के साथ धोखाधड़ी करके ये काम किया.

CJI ने दिया जवाब
इस पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि राष्ट्रपति को अनुच्छेद 356 के तहत संविधान के कुछ प्रावधानों को निलंबित करने की शक्ति है. सीजेआई ने कहा कि जनवरी 1957 में जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा भंग होने के बाद अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के प्रावधान को अकेले अस्तित्वहीन नहीं माना जा सकता है. अनुच्छेद 370 के कुछ हिस्से 62 साल तक प्रभाव में रहे.

CJI ने कहा कि अगर आपका कथन खंड 3 के संबंध में सही है तो 1957 में संविधान सभा द्वारा अपना कार्य पूरा करने के बाद कोई संवैधानिक संशोधन नहीं हो सकता है. इस संवैधानिक प्रथा में ही झुठलाया गया है. संवैधानिक संशोधन हुए और 2019 तक होते रहे. इसके साथ ही चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर फैसला, संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ होगा तो दखल देने से पीछे नहीं हटेंगे.

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