नीट-यूजी पेपर लीक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने कहा कि NEET की परीक्षा दोबारा आयोजित नहीं कराई जाएगी, क्योंकि इसके पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि एग्जाम की पवित्रता में उल्लंघन किया गया था. एक्सपर्ट कमेटी ने साफ तौर पर कहा है कि केवल एक सही विकल्प था, जो कि विकल्प नंबर 4 था. राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) ने भी इसे ही बताया था.
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने नीट मामले पर फाइनल फैसला सुनाते हुए कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि बिहार के हजारीबाग और पटना में प्रश्न पत्र लीक नहीं हुआ. यह तथ्य विवाद का विषय नहीं है. पीठ ने कहा कि सीबीआई ने अब तक की जांच में बताया कि हजारीबाग और पटना में 155 छात्रों ने इस पेपर लीक का फायदा उठाया है.
'परीक्षा में गड़बड़ी के पर्याप्त सबूत नहीं'
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि जांच अभी अधूरी है. हमनें केंद्र और एनटीए से जवाब मांगा था कि 4750 केंद्रों में से कहां-कहां गड़बड़ी हुई थी. लेकिन अभी तक पूरी रिपोर्ट सौंपी नहीं गई. IIT मद्रास ने समीक्षा की है. लेकिन उससे यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है कि NEET-UG की परीक्षा पूरी तरह प्रभावित हुई है. इसलिए अभी परीक्षा को रद्द करके दोबारा कराने का आदेश देना उचित नहीं होगा.
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CJI ने कहा कि जिन छात्रों ने इस गड़बड़ी का फायदा उठाया है. उनकी पहचान करना संभव है. आगे चलकर गड़बड़ी पाई जाती है तो उसका एडमिशन रद्द किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अभी तक प्राप्त सबूतों में जो सामने आया है. उसके आधार पर परीक्षा रद्द की जाती है तो उसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. जिसका खामियाजा 24 लाख छात्रों को भुगतना पड़ेगा. चिकित्सा शिक्षा के पाठ्यक्रम पर भी प्रभाव पड़ेगा.
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