Israel को हथियार भेजने पर रोक लगाने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुना दिया फैसला, कही खास बात

स्मिता मुग्धा | Updated:Sep 09, 2024, 06:24 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने इजरायल से जुड़ी याचिका खारिज की

Supreme Court Rejects Prashant Bhushan Plea: सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण की याचिका खारिज की, जिसमें भारत से इज़राइल को हथियार निर्यात पर रोक लगाने की मांग की गई थी. कोर्ट ने इसे विदेश नीति का मामला बताया है.

सुप्रीम कोर्ट में भारत के इजरायल को हथियार भेजने पर रोक लगाने की अपील वाली याचिका खारिज कर दी गई है. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस याचिका को खारिज कर दिया है. इस याचिका में इजरायल (Israel) को भारत सरकार और भारतीय कंपनियों के हथियार निर्यात करने पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई थी. इस मामले में कुल 11 याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिसकी नुमाइंदगी प्रशांत किशोर कर रहे थे.

याचिका पर सुनवाई करते हुए आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह उनके अधिकार क्षेत्र का मामला नहीं है. यह देश की विदेश नीति से जुड़ा मामला है और केंद्र सरकार ही इस पर फैसला ले सकती है. 


यह भी पढ़ें: Noida के स्कूल में KG की बच्ची से गंदी हरकत, आरोपी और प्रिंसिपल समेत 5 गिरफ्तार


हथियार और सैन्य उपकरणों पर रोक लगाने की थी याचिका 
सुप्रीम कोर्ट में याचिका की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ एक अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. जिसमें भारत की कंपनियों को इजरायल को हथियार और अन्य सैन्य उपकरणों के निर्यात के लिए दिए गए लाइसेंस/अनुमतियों को रद्द करने और नए लाइसेंस/अनुमतियों के जारी होने पर रोक लगाने की मांग की गई थी. याचिकाकर्ताओं के अनुसार, इजराइल गाज़ा में नरसंहार कर रहा है और इस कारण भारतीय हथियारों का निर्यात नरसंहार के लिए हो रहा है.


यह भी पढ़ें: 69,000 शिक्षकों की भर्ती मामले पर हाई कोर्ट के फैसले पर Supreme Court ने लगाई रोक  


कोर्ट ने बताया विदेश नीति का मामला 
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मामलों में निर्णय लेने का अधिकार अनुच्छेद 162 के तहत केवल केंद्र सरकार को दिया गया है. कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं की मांग पूरी करने के लिए इजरायल के खिलाफ आरोपों पर फैसला लेना पड़ेगा. इजरायल एक स्वतंत्र देश है और भारतीय अदालतों के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्यायालय इस प्रकार के मामले में हस्तक्षेप कैसे कर सकता है? हम सरकार को यह नहीं कह सकते कि किसी विशेष देश को निर्यात रोका जाए. यह पूरी तरह से विदेश नीति का मामला है.

प्रशांत भूषण की दलीलों को कोर्ट ने नहीं किया स्वीकार 
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि यदि राष्ट्रीय नीति संविधान या कानून के विरुद्ध है, तो न्यायालय हस्तक्षेप कर सकता है. उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि इजरायल गाजा  में नरसंहार कर रहा है. भारत ऐसे निर्यातों की अनुमति नहीं दे सकता जो इस तरह के नरसंहार में उपयोग हो रहे हैं. यह नरसंहार में सहायता करना और नरसंहार संधि का उल्लंघन करना होगा, जिसे भारत ने स्वीकार किया है.भूषण ने कहा कि नरसंहार संधि को हमारे स्थानीय कानून का हिस्सा माना जा सकता है, इसलिए जो भी नीति इस संधि का उल्लंघन करती है उसे अदालत द्वारा रोका जाना चाहिए.

ख़बर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगलफेसबुकxइंस्टाग्रामयूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.

Supreme Court israel gaza attack Israel supreme court news prashant bhushan