Electoral Bonds: सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. शीर्ष आदलत ने शुक्रवार यानी 2 अगस्त को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए राजनीतिक पार्टियों को कॉरपोरेट कंपनियों से मिले राजनीतिक चंदे की 'स्पेशल इंवेस्टिगेटिव टीम' (एसआईटी) से जांच करवाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने से रोक लगा दी है.
इलेक्टोरल बॉन्ड योजना पर पहले लग चुकी है रोक
कोर्ट का कहना है कि अभी इस कथित घोटाले की जांच की कोई जरूरत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट पहले भी इलेक्टोरल बॉन्ड योजना पर रोक लगा चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना पर रोक लगाते हुए कहा था कि ये योजना संविधान के अनुच्छेद 19(1) का उल्लंघन करती है.
सुप्रीम कोर्ट में इलेक्टोरल बॉन्ड घोटाले के पर याचिका गैर सरकारी संगठनों - कॉमन कॉज और सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) और अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इलेक्टरोल बॉन्ड से दिए गए चंदे में करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ है. इस मामले की सीबीआई या फिर कोई भी अन्य जांच एजेंसी जांच नहीं कर रही है.
मुख्य न्यायाधीश ने कहा है...
इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि इलेक्टोरल बांड की खरीद संसद मे बनाए कानून के आधार पर हुई थी. इसी आधार पर राजनीतिक दलों को कोर्पोरेट कंपनियों से चंदा मिला था. अब इस कानून को रद्द कर दिया गया है.
अभी ऐसा नहीं लगता कि कोर्ट सीधे जांच करवाना शुरू कर दे. जिन मामलों में किसी को आशंका है, उनमें वह कानून का रास्ता ले सकता है. समाधान न होने पर वह कोर्ट जा सकता है. फिलहाल इसकी जांच कराना जल्दबाजी होगी. याचककर्ता कोई दूसरा विकल्प देखें.
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