डीएनए हिंदी: देश में धर्मांतरण एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है और अब इसको लेकर देश की सर्वोच्च अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक सख्त प्रतिक्रिया दी है. उच्चतम न्यायालय ने जबरन धर्मांतरण (Forced conversion) को ‘बहुत गंभीर’ मुद्दा बताया है. कोर्ट ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को तलब कर पूछा है कि आखिर केंद्र सरकार इसे रोकने के लिए क्या कदम उठा रही हैं? कोर्ट ने कहा है कि इस पर कदम उठाए और इस दिशा में गंभीर प्रयास करे.
देश की सबसे बड़ी अदालत ने धर्मांतरण को लेकर एक बड़ा मुद्दा बताया है कि यदि जबरन धर्मांतरण को नहीं रोका गया तो एक ‘‘बहुत मुश्किल स्थिति’’ पैदा होगी. इस मुद्दे पर न्यायमूर्ति एम.आर. शाह और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि सरकार प्रलोभन के जरिए धर्मांतरण पर अंकुश लगाने के लिये उठाए गए कदमों के बारे में बताए.
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सुप्रीम कोर्ट की इस पीठ ने कहा है कि धर्मांतरण एक बहुत ही गंभीर मामला है. केंद्र द्वारा जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए गंभीर प्रयास किए जाने चाहिए, अन्यथा बहुत मुश्किल स्थिति सामने आएगी. केंद्र सरकार से पूछते हुए कहा है कि हमें बताएं कि आप क्या कार्रवाई करने का प्रस्ताव रखते हैं... आपको हस्तक्षेप करना होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह बेहद गंभीर मुद्दा है, जो राष्ट्र की सुरक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता को प्रभावित करता है. इसलिए बेहतर होगा कि केंद्र सरकार अपना रुख स्पष्ट करे और इस तरह के जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए आगे क्या कदम उठाए जा सकते हैं, इस पर जवाबी हलफनामा दाखिल करे.
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आपको बता दें कि इस मुद्दे पर बीजेपी नेता और वरिष्ठ वकील ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी और कहा था कि वे इस मुद्दे पर सरकार पर दबाव बनाएं. अश्विनी उपाध्याय बीजेपी के एजेंडों से जुड़ें मुद्दों पर लगातार सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाते रहे हैं जिसमें जनसंख्या नियंत्रण का मुद्दा भी शामिल है.
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