डीएनए हिंदी: देश की राजनीति में मुफ्त की चीजें देने का वादा करने वाले राजनीतिक दलों को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं. वहीं इस मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई भी जारी है. इसको लेकर कोर्ट ने कहा है कि किसी राजनीतिक दलों को मुफ्त की चीजें देने के वादे पर रोक नहीं लगाई जा सकती है. कोर्ट ने कहा है कि हम यह तय करेंगे कि चुनावी घोषणा में फ्री स्कीम्स क्या है और कौन सी चीज राजनीतिक रिश्वत है.
दरअसल, मुफ्त की चीजें बांटने वाले इस मामले की सुनवाई एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही है. चीफ जस्टिस ने कहा कि क्या हम किसी पॉलिटिकल पार्टी को किसानों को खाद देने से रोक सकते हैं? सबको शिक्षा और स्वास्थ्य देने पर अमल करना सार्वजनिक धन का दुरुपयोग नहीं है. उन्होंने कहा, "राजनीतिक दलों को लोगों से वादा करने से नहीं रोका जा सकता. सवाल इस बात का है कि सरकारी धन का किस तरह से इस्तेमाल किया जाए."
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मनरेगा का दिया उदाहरण
चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान फ्री स्कीम्स का मनरेगा का सबसे बेहतरीन उदाहरण दिया है. उन्होंने कहा, "इस स्कीम्स से लाखों लोगों को रोजगार मिल रहा है, मगर यह वोटर को शायद ही प्रभावित करता है. मुफ्त में वाहन देने की घोषणा कल्याणकारी उपायों के रूप में देखा जा सकता है? क्या हम कह सकते हैं कि शिक्षा के लिए मुफ्त कोचिंग फ्री स्कीम्स है?"
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कोर्ट ने मांगे सुझाव
सीजेआई ने कहा कि आप सभी अपने सुझाव दीजिए, उसके बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है. इसके बाद कोर्ट ने सभी पक्षों को इस बारे में शनिवार तक सुझाव देने को कहा है. अब इस मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होगी. इस मामले में कोर्ट ने सरकार से लेकर चुनाव आयोग और राजनीतिक दल सभी से सुझाव भी मांगे हैं.
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