आज CAA पर होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, जानें क्या है नागरिकता संशोधन कानून-2019 और क्यों हुआ इसका विरोध

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Sep 12, 2022, 09:45 AM IST

What is CAA

नागरिकता संशोधन कानून-2019 को लेकर काफी विरोध हो चुका है. अब सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ डाली गई याचिका पर सुनवाई होनी है.

डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आज 200 से ज्यादा जनहित याचिकाओं पर सुनवाई होने वाली है. इनमें से एक याचिका नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) से संबंधित भी है. सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका के तहत इस अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है. आज मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ इस याचिका पर सुनवाई करने वाली है. जानते हैं क्या है नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA)  और क्यों हुआ इसका विवाद-

क्या है नागरिकता संशोधन कानून 2019?
नागरिकता संशोधन अधिनियम को आसान भाषा में समझा जाए तो इसके तहत भारत के तीन मुस्लिम बहुसंख्यक पड़ोसी देशों से आए गैर मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने के नियम को आसान बनाया गया है. इसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी धर्मों के प्रवासियों के लिए नागरिकता के नियम को आसान बनाया गया है. इससे पहले भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए किसी भी व्यक्ति को कम से कम 11 साल तक भारत में रहना अनिवार्य था. नागरिकता संशोधन कानून 2019 के तहत इस नियम को आसान बनाकर नागरिकता हासिल करने की अवधि को 1-6 साल किया गया है.  

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कैसे काम करता है नागरिकता संशोधन कानून
ये कानून उन लोगों पर लागू होगा, जो 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत में आए थे.  इस कानून के तहत भारत की नागरिकता लेने के लिए प्रवासियों को आवेदन करना होगा. इसमें उन्हें कुछ अहम बातों की पुष्टि करनी होगी-

  • इसमें उन्हें ये दिखाना होगा कि वे भारत में पांच साल रह चुके हैं. 
  • उन्हें ये भी साबित करना होगा कि वे अपने देशों से धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आए हैं. 
  • वे उन भाषाओं को बोलते हैं जो संविधान की आठवीं अनुसूची में हैं.
  • इसी के बाद वे भारत की नागरिकता के योग्य होंगे, हालांकि उसके बाद ये भारत सरकार पर निर्भर होगा कि उन्हें नागरिकता देनी है या नहीं


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क्यों हुआ विरोध?
इस संशोधन अधिनियम को लेकर देशभर में काफी विरोध प्रदर्शन हुआ. इस विरोध प्रदर्शन की मुख्य वजह यह थी कि इसमें खास तौर पर मुस्लिम समुदाय के लोगों को शामिल नहीं किया गया है. कई राजनीतिक पार्टियों ने भी इसका इसी आधार पर विरोध किया. उनका कहना है कि इसमें संविधान के अनुच्छेद-14 का उल्लंघन है जो समानता के अधिकार की बात करता है.

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