डीएनए हिंदी: राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने सुप्रीम कोर्ट पर कुछ ऐसा कहा है जिसकी वजह से उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं. दो वकीलों ने सोमवार को अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल (KK. Venugopal) को अलग-अलग पत्र लिखकर उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मांग की है. कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट की कथित तौर पर निंदा की थी. वकीलों ने कहा है कि कपिल सिब्बल के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की अनुमति अटॉर्नी जनरल दें.
न्यायालय की अवमानना (Contempt of Court, 1971) कानून की धारा 15 के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के सामने आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए अटॉर्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल की अनुमति एक शर्त है. दो वकीलों-विनीत जिंदल और शशांक शेखर झा ने शीर्ष विधि अधिकारी से पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए सहमति देने का अनुरोध किया है.
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कपिल सिब्बल के खिलाफ क्या बोल रहे हैं वकील?
शशांक शेखर झा ने अपने पत्र में कहा, 'निंदात्मक भाषण न केवल सुप्रीम कोर्ट और उसके न्यायाधीशों के खिलाफ है, बल्कि उच्चतम न्यायालय और उसके न्यायाधीशों दोनों के अधिकार को बदनाम करके शीर्ष अदालत की गरिमा और स्वतंत्र प्रकृति को कमजोर करने की प्रक्रिया है.'
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विनीत जिंदल ने दावा किया है कि कपिल सिब्बल के बयानों ने उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों द्वारा पारित निर्णयों की निंदा की है. उन्होंने अपने पत्र में कहा, 'अगर इस तरह के चलन को अनुमति दी गई तो नेता हमारे देश के उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के खिलाफ बेरोक-टोक आरोप लगाना शुरू कर देंगे और यह प्रवृत्ति जल्द ही एक स्वतंत्र न्यायपालिका प्रणाली की विफलता का कारण बनेगी.'
कपिल सिब्बल ने क्या कहा?
अटॉर्नी जनरल को लिखे अपने पत्र में शशांक शेखर झा ने दावा किया कि कपिल सिब्बल ने अपने भाषण में सर्वोच्च न्यायालय की स्वतंत्रता पर संदेह पैदा किया और दुर्भावनापूर्ण इरादे से शीर्ष अदालत की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की.
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समाचार एजेंसी PTI कपिल सिब्बल ने छह अगस्त को यहां आयोजित एक कार्यक्रम में बतौर वक्ता यह बयान दिया था. सिब्बल ने अपने बयान में जकिया जाफरी मामले में शीर्ष अदालत के हालिया फैसले के साथ-साथ मनी लॉन्ड्रिंग निवारण कानून के कुछ प्रावधानों की व्याख्या से संबंधित याचिकाओं की आलोचना की थी.
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