जेल में बंद कैदियों से कितनी बार मिल सकेंगे घर के लोग और वकील, सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया फैसला

नीलेश मिश्र | Updated:Jan 09, 2024, 02:37 PM IST

Supreme Court ने चुनाव आयोग से Electoral Bond की संख्या मांगी थी.

Jail Rules Delhi: दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है जिसमें कैदियों से मुलाकात की संख्या को सीमित किया गया है.

डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट ने जेल में बंद कैदियों से उनके परिजन और वकीलों की मुलाकात से संबंधी दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है. दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि कैदियों से उनके परिजनों, दोस्तों और कानूनी सलाहकारों की मुलाकात की संख्या को सप्ताह में दो बार सीमित करने का निर्णय बंदियों की संख्या को ध्यान में रखते हुए लिया गया है और इसे पूरी तरह से मनमाना नहीं कहा जा सकता. 

जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने कहा कि वह हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने की इच्छुक नहीं है क्योंकि यह एक नीतिगत निर्णय है. हाई कोर्ट ने पिछले साल 16 फरवरी के अपने आदेश में कहा था कि जेलों में उपलब्ध सुविधाओं, कर्मचारियों की उपलब्धता और विचाराधीन कैदियों की संख्या पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद यह निर्णय लिया गया है.

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अनलिमिटेड मुलाकातों की थी मांग
हाई कोर्ट ने कहा था, 'नीति संबंधी मामलों में, अदालतें अपने निष्कर्ष को सरकार द्वारा निकाले गए निष्कर्ष से प्रतिस्थापित नहीं करती हैं, केवल इसलिए कि एक और दृष्टिकोण संभव है इसलिए यह अदालत परमादेश की रिट जारी करने वाला कोई भी आदेश पारित करने की इच्छुक नहीं है.' हाई कोर्ट का फैसला दिल्ली जेल नियम, 2018 के कुछ प्रावधानों को चुनौती देने वाली एक याचिका का निपटारा करते हुए आया था. 

वकील जय अनंत देहाद्राई की याचिका में नियमों में संशोधन की मांग की गई थी ताकि कानूनी सलाहकारों के साथ मुलाकात उचित आवंटित समय में सोमवार से शुक्रवार तक खुली रहे और प्रति सप्ताह मुलाकात की कोई सीमा न हो. याचिकाकर्ता ने अंतरिम रूप से दिल्ली की जेलों में कानूनी सलाहकारों की अपने मुवक्किलों से सप्ताह में दो बार से अधिक मुलाकात का आग्रह किया था.

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हाई कोर्ट ने कहा था, 'कैदियों की संख्या के आधार पर, सरकार ने परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों, दोस्तों और कानूनी सलाहकारों की कुल मुलाकातों की संख्या को सप्ताह में दो बार सीमित करने का निर्णय लिया है और यह नहीं कहा जा सकता है कि उक्त निर्णय पूरी तरह से मनमाना है.' दिल्ली सरकार ने अपने जवाब में कहा था कि दिल्ली में 16 जेलों में 10,026 की स्वीकृत क्षमता के मुकाबले 18,000 से अधिक कैदी हैं. इसने कहा था कि यहां की जेलों में कैदियों की संख्या को देखते हुए परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों, दोस्तों और कानूनी सलाहकारों की मुलाकात की संख्या को सीमित करने का निर्णय लिया गया है.

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