Bulldozer Action: 'मंदिर हो या दरगाह, सड़क निर्माण में नहीं बन सकते बाधा', बुलडोजर एक्शन पर SC की बड़ी टिप्पणी

| Updated: Oct 01, 2024, 02:32 PM IST

Supreme Court

आज सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन प्रथा को एक कानूनी रूपरेखा में लाने की कोशिश की है. कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि कोई भी धार्मिक संरचना सड़क या सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण नहीं कर सकती है, चाहे वह किसी भी धर्म की हो. 

सुप्रीम कोर्ट ने आज एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए ये स्पष्ट किया कि कोई भी धार्मिक संरचना, चाहे वह मंदिर हो या मस्जिद, जो सड़कों, जल निकायों या रेलवे पटरियों पर अतिक्रमण करती है उसे हटाना होगा. यह आदेश सार्वजनिक सुरक्षा को प्राथमिकता देने के संदर्भ में जारी किया गया है. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने ये टिप्पणी 'बुलडोजर न्याय' प्रथा पर सुनवाई के दौरान की है.

Demolition Drive से पहले नोटिस भेजना अनिवार्य
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश के प्रतिनिधियों की भूमिका निभाते हुए कहा कि किसी व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक मामले का होना बुलडोजर कार्रवाई के लिए आधार नहीं हो सकता. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि गंभीर अपराधों, जैसे बलात्कार और आतंकवाद के मामलों में भी ऐसी कार्रवाई उचित नहीं है. इसके अलावा, उन्होंने सुझाव दिया कि इस तरह के  Demolition Drive से पहले नोटिस भेजना अनिवार्य होना चाहिए. उन्होने आगे कहा कि जैसा कि नगर निगम कानूनों में भी निर्धारित है.

पारदर्शिता की आवश्यकता
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने नगर निगम और पंचायत नियमों में अंतर पर ध्यान केंद्रित किया और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल स्थापित करने की सिफारिश की. इस पोर्टल के जरिए आम जनता ध्वस्तीकरण आदेशों की जानकारी प्राप्त कर सकेगी, जिससे प्रक्रिया में और ज्यादा  पारदर्शिता आएगी. 

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धर्मनिरपेक्षता का महत्व
भारत के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों की पुष्टि करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह आदेश हर नागरिक पर लागू होगा, चाहे उनकी धार्मिक पहचान कैसी भी हो. जस्टिस गवई ने कहा, 'हम एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र हैं, और हमारा निर्णय सभी के लिए है, भले ही उनका धर्म या समुदाय कुछ भी हो.'  इसके अलावा, अदालत ने यह भी कहा कि सार्वजनिक बुनियादी ढांचे पर अतिक्रमण पर बात करना जन सुरक्षा के लिए बेहद आवश्यक है. इस निर्णय ने 'बुलडोजर न्याय' की प्रथा को एक कानूनी रूपरेखा में लाने की कोशिश की है, जिसमें सभी नागरिकों के अधिकारों का सम्मान किया जाएगा. कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि कोई भी धार्मिक संरचना सड़क या सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण नहीं कर सकती है, चाहे वह किसी भी धर्म की हो. 

बुलडोजर कार्रवाई पर अंतिम निर्णय सुरक्षित
17 सितंबर को, सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई के संबंध में निर्णय सुनाते हुए कहा था  कि 1 अक्टूबर तक किसी भी संपत्ति की तोड़फोड़ केवल कोर्ट के आदेश पर की जाएगी. हालांकि, बुलडोजर कार्रवाई पर अंतिम निर्णय कोर्ट ने सुरक्षित रखा है.

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