दोषी सांसद-विधायकों पर कसेगी नकेल, चुनाव लड़ने पर SC लगा सकता है आजीवन प्रतिबंध

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Oct 04, 2023, 10:04 PM IST

Supreme Court 

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट सांसदों और विधायकों को संसद या राज्य विधानसभाओं में भाषण या वोट देने के बदले में रिश्वत लेने के मामलों में मुकदमा चलाने से छूट देने के अपने 1998 के फैसले पर पुनर्विचार करेगा.

डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपराधिक मामलों में सजायाप्ता सांसद, विधायक या अन्य लोगों को आजीवन चुनाव नहीं लड़ने देने की मांग वाली याचिका पर अलग से सुनवाई करेगा. इसके लिए सदस्यीय पीठ का गठन किया गया है. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि पीठ इस मामले पर सुनवाई करेगी कि अगर सांसदों व विधायकों के कृत्यों में आपराधिकता जुड़ी है तो क्या उन्हें तब भी छूट दी जा सकती है.

25 साल पुराने फैसले पर होगा पुनर्विचार
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सांसदों और विधायकों को संसद या राज्य विधानसभाओं में भाषण या वोट देने के बदले में रिश्वत लेने के मामलों में मुकदमा चलाने से छूट देने के अपने 1998 के फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए सुनवाई शुरू की. चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली संवैधानिक पीठ ने कहा, ‘हमें छूट और इस मुद्दे से भी निपटना होगा कि क्या आपराधिकता का तत्व होने पर भी कानून निर्माताओं को छूट दी जा सकती है.’ 

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई शुरू होने पर कहा कि संभवत: इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए इस विवाद को खत्म किया जा सकता है कि रिश्वत का अपराध तब होता है जब कानून निर्माता द्वारा रिश्वत दी और ली जाती है. उन्होंने कहा कि अब कानून निर्माता आपराधिक कृत्य करता है या नहीं यह आपराधिकता के सवाल के लिए अप्रासंगिक है और यह अनुच्छेद 105 के बजाय भ्रष्टाचार रोकथाम कानून का प्रश्न है. अनुच्छेद 105 सांसदों व विधायकों को मिली छूट से संबंधित है. पीठ ने 1998 के फैसले के संदर्भ में कहा कि आपराधिकता के बावजूद सांसदों व विधायकों को छूट दी गई है.

ये भी पढ़ें- 'हमें कठोर आदेश के लिए मजबूर न करें', आखिर SC ने पंजाब सरकार से क्यों कहा ऐसा  

पीठ में न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना, न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा, न्यायमूर्ति जे बी परदीवाला, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं. देश को झकझोर देने वाले झारखंड मुक्ति मोर्चा रिश्वत कांड के करीब 25 साल बाद उच्चतम न्यायालय 20 सितंबर को सांसदों और विधायकों को संसद या राज्य विधानसभाओं में भाषण या वोट देने के बदले में रिश्वत लेने के मामलों में मुकदमा चलाने से छूट देने के अपने 1998 के फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए सहमत हो गया था. न्यायालय ने कहा था कि यह ‘राजनीति में नैतिकता’ पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालने वाला एक अहम मुद्दा है.

1998 के फैसले में दी गई थी छूट
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने मामले को सात सदस्यीय वृहद पीठ के पास भेजने का फैसला किया था. शीर्ष न्यायालय ने पीवी नरसिम्हा राव बनाम सीबीआई मामले में 1998 में दिए अपने फैसले में कहा था कि सांसदों को सदन के भीतर कोई भी भाषण और वोट देने के लिए आपराधिक मुकदमा चलाने से संविधान में छूट मिली हुई है. साल 2019 में तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने इस अहम प्रश्न को पांच सदस्यीय पीठ के पास भेजते हुए कहा था कि इसके व्यापक प्रभाव हैं और यह सार्वजनिक महत्व का सवाल है.

तीन सदस्यीय पीठ ने तब कहा था कि वह झारखंड में जामा निर्वाचन क्षेत्र से झारखंड मुक्ति मोर्चा की विधायक सीता सोरेन की अपील पर सनसनीखेज झामुमो रिश्वत मामले में अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगी. सीता सोरेन पर 2012 में राज्यसभा चुनाव में एक विशेष उम्मीदवार को मत देने के लिए रिश्वत लेने का आरोप था. उन्होंने दलील दी थी कि सांसदों को अभियोजन से छूट देने वाला संवैधानिक प्रावधान उन पर भी लागू किया जाना चाहिए. 

पीठ ने तब कहा था कि वह सनसनीखेज झामुमो रिश्वतखोरी मामले में अपने फैसले पर फिर से विचार करेगी, जिसमें झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री शिबू सोरेन और पार्टी के चार अन्य सांसद शामिल हैं और जिन्होंने 1993 में तत्कालीन पी वी नरसिम्हा राव सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के विरोध में वोट देने के लिए रिश्वत ली थी. सीबीआई ने सोरेन और झामुमो के चार अन्य लोकसभा सांसदों के खिलाफ मामला दर्ज किया था, लेकिन न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 105(2) के तहत उन्हें अभियोजन से मिली छूट का हवाला देते हुए इसे रद्द कर दिया था. (इनपुट- PTI)

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Supreme Court mla MP Criminal Cases 2024 lok sabha election