डीएनए हिंदी: दिल्ली में जानलेवा प्रदूषण के एक मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को जमकर फटकार लगाई है. कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में सरकार के रवैये की आलोचना करते हुए कहा कि खुद काम नहीं करना और अदालत पर बोझ डालने की कोशिश नहीं होनी चाहिए. मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि सरकार खुद नहीं करे और हमेशा चाहे कि हम उसे बताएं क्या करना है तो ऐसा नहीं हो सकता है. यह ठीक तरीका नहीं है. दिल्ली में ऑड-ईवन लागू करने के मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि हम इस पर कोई फैसला नहीं देंगे. राज्य सरकार को यह निर्णय अपने स्तर पर लेना होगा. दिल्ली में वायु प्रदूषण को देखते हुए ऑड-ईवन योजना लाने का ऐलान दिल्ली सरकार ने किया था.
जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार की ऑड-ईवन योजना से कोर्ट का कोई लेना-देना नहीं है. हम इस पर कोई आदेश भी नहीं देने जा रहे है. साथ ही पड़ोसी राज्यों से दिल्ली में आने वाली टैक्सी पर भी इस योजना के तहत रोक लगाने के सवाल पर भी पीठ ने कहा कि हमने कभी नहीं कहा कि पड़ोसी राज्यों से दिल्ली में प्रवेश करने वाली टैक्सियों पर भी इसे लागू किया जाना चाहिए. सरकार को अपने स्तर पर होने वाले काम भी कोर्ट पर नहीं छोड़ सकती है.
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दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने खूब सुनाया
ऑड-ईवन लागू करने संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि जनता के पास अब कोई विकल्प नहीं बचा है.आपको जो करना है वही करें क्योंकि जनता तो बस प्रार्थना ही कर सकती है कि किसी तरह से हालात बेहतर हो जाएं. जैसे कि आज बारिश हुई है तो पहले की तुलना में हालात अच्छे हुए हैं. कभी-कभी बारिश होगी तो उससे हालात अच्छे हो जाएंगे. दरअसल सुनवाई के दौरान एक पक्ष के वकील ने बारिश का हवाला देते हुए कहा था कि इससे वायु गुणवत्ता में सुधार होगी.
ऑड-ईवन लागू करने पर कोर्ट ने कहा, जो करना है करें
दिल्ली सरकार के वकील ने तर्क दिया था कि ऑड-ईवन लागू करने पर दिल्ली में वाहनों का बोझ पहले से काफी कम होता है. इससे वायु प्रदूषण पर नियंत्रण लगाने में मदद मिलेगी. इस पर कोर्ट ने कहा कि आपको जो करना है करें, लेकिन हम यहां इसलिए नहीं बैठे हैं कि आपको बताएं आपको क्या करना है और क्या नहीं करना है. यह आपका फैसला है और आपको ही तय करना होगा. अपने काम नहीं करने का दोष कोर्ट पर डालने की कोशिश नहीं होनी चाहिए.
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