सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले से एक पूर्व सैनिक को राहत दी है. साल 2001 में सेना से बर्खास्त किए गए सैनिक को HIV पॉजिटिव बताया गया था और उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था. असल में वह HIV पॉजिटिव नहीं थे. ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय सेना को कहा है कि वह पीड़ित सैनिक को 50 लाख रुपये का मुआवजा दे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पीड़ित को 8 हफ्ते के अंदर ही मुआवजे की रकम दे दी जाए.
सेना ने सत्यानंद सिंह को साल 2001 में नौकरी से निकाला था. सेना के डॉक्टरों ने अपनी जांच में बताया था कि वह HIV पॉजिटिव हैं. उस समय सत्यानंद सिंह सिर्फ 27 साल के थे. उन्होंने 30 अक्टूबर 1993 को सेना ज्वाइन की थी. सेना ज्वाइन करने के 7 साल बाद उन्हें HIV पॉजिटिव बताकर नौकरी से निकाल दिया गया और पेंशन देने से इनकार कर दिया गया. दरअसल, पेंशन के लिए वही कर्मचारी योग्य माना जाता है जिसने कम से कम 10 साल नौकरी कर ली.
ये भी पढ़ें-कोलकाता की ट्रेडिंग कंपनी ने AAP पर जमकर लुटाए पैसे, इन पार्टियों के भी खरीदे इलेक्टोरल बॉन्ड
23 साल बाद मिली राहत
सत्यानंद सिंह ने बाद में जांच करवाई तो पता चला कि वह HIV पॉजिटिव ही नहीं है. इसके बाद उन्होंने सेना के अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज करा दिया था. यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया और आखिर में सत्यानंद सिंह को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली. सुप्रीम कोर्ट ने इसे उदासीन रवैया बताते हुए सेना के अधिकारियों को फटकार लगाई है और पीड़ित को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट के जज संजीव खन्ना और दीपंकर दत्ता की बेंच ने सेना अधिकारियों को आठ हफ्तों के अंदर मुआवजे का भुगतान करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि पीड़ित को इतने सालों तक मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ी है. उन्हें न केवल सेना और उसके अधिकारियों के उदासीन रवैये का सामना करना पड़ा बल्कि सामाजिक स्तर पर अपमान भी झेलना पड़ा.
DNA हिंदी अब APP में आ चुका है. एप को अपने फोन पर लोड करने के लिए यहां क्लिक करें.
देश-दुनिया की Latest News, ख़बरों के पीछे का सच, जानकारी और अलग नज़रिया. अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप पर.