भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को नहीं मिलेगा अतिरिक्त मुआवजा, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Mar 14, 2023, 11:00 AM IST

Bhopal Gas Tragedy

Bhopal Gas Tragedy Case: सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल गैस त्रासदी के मामले में पीड़ितों को अतिरिक्त मुआवजा देने की याचिका पर अपना फैसला सुना दिया है.

डीएनए हिंदी: साल 1984 के दिसंबर महीने में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में मौजूद यूनियन कार्बाइड कंपनी से गैस लीक हुई थी. जहरीली गैस लीक हो जाने की वजह से बहुत सारे लोगों की जान चली गई थी. इस मामले के पीड़ितों को 7,400 करोड़ रुपये का अतिरिक्त मुआवजा दिए जाने के लिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनवाई करने के बाद 12 जनवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. आज सुप्रीम कोर्ट ने अतिरिक्त मुआवजा देने की याचिका को खारिज कर दिया है और अतिरिक्त मुआवजा मिलने की उम्मीद भी धूमिल हो गई है.

दरअसल, गैस कांड के पीड़ितों के लिए काम करने वाले संगठनों ने मध्य प्रदेश की राज्य सरकार और केंद्र सरकार पर आरोप लगाए हैं कि आंकड़ों में गड़बड़ी की गई. इसी को लेकर क्यूरेटिव याचिका दायर की गई थी कि मुआवजे की राशि नए सिरे से निर्धारित की जाए. नए सिरे से मुआवजा तय किए जाने पर 7,400 करोड़ रुपये का अतिरिक्त मुआवजा देना होगा. केंद्र सरकार ने इस मामले में दोषी पाई गई यूनियन कार्बाइड कंपनी के साथ अपने समझौते और पीड़ितों को अतिरिक्त मुआवजा दिलवाने के लिए यह याचिका दायर की थी.

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भोपाल गैस त्रासदी क्या है?
दिसंबर 1984 में 2 और 3 तारीख की रात को यूनियन कार्बाइड कंपनी से खतरनाक मिथाइल आइसोसाइनेट गैस लीक हुई. लगभग 45 टन गैस लीक होने से भोपाल शहर में बसी इस फैक्ट्री के आसपास के लोग दम घुटने से मर गए. इस हादसे में 16 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई. लगभग पांच लाख लोगों को कई तरह की समस्याओं से जूझना पड़ा. हैरान करने वाली बात यह है कि इस मामले के दोषियों को कोई सजा नहीं हुई.

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अतिरिक्त मुआवजे वाली क्यूरेटिव याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार ने कहा था कि पीड़ितों को अधर में नहीं छोड़ा जा सकता है. हालांकि, कोर्ट ने कहा था कि बेशक लोगों ने कष्ट झेला है लेकिन सवाल यह है कि जब केंद्र सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की है तो क्यूरेटिव याचिका कैसे दाखिल कर सकते हैं?

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