Supreme Court ने राज्यों के 'रेवड़ी कल्चर' पर उठाए सवाल, रोक लगाने के लिए मोदी सरकार से मांगी राय

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jul 26, 2022, 06:48 PM IST

देश के कई राज्यों में मुफ्त चीजें देने की योजनाएं चल रही है जिसको लेकर अब सुप्रीम कोर्ट ने सवाल खड़े किए हैं और सुप्रीम कोर्ट से पूछा है कि इस मुद्दे पर केंद्र सरकार की क्या राय है.

डीएनए हिंदी: राजनीतिक दलों द्वारा चुनावों से पहले मुफ्त की चीजें बांटने के वादे और सरकार बनने पर मुफ्त की योजनाओं को शुरू करने को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बड़ा बयान दिया है. कोर्ट ने कहा है कि राज्यों में इस तरह के 'रेवड़ी कल्चर' से देश में वित्तीय दबाव पड़ता है इसलिए आवश्यक है कि इसे खत्म करने के लिए कुछ कदम उठाए जाएं. कोर्ट ने इस मामले में केंद्र की मोदी सरकार से अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है.

दरअसल, देश के चीफ जस्टिस एनवी रमणा की अध्यक्षता वाली पीठ ने मुफ्त की चीजें बांटने को लेकर अपनी आपत्ति जाहिर की है. चीफ जस्टिस के साथ इस पीठ में जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हेमा कोहली शामिल हैं. कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में वित्त आयोग से सुझाव मांगे जा सकते हैं कि मुफ्त में बांटने की योजनाओं का क्या असर पड़ रहा है.

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केंद्र सरकार से पूछ सवाल 

केंद्र सरकार की तरफ से इस सुनवाई के दौरान मौजूद अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल से कहा है कि कृपया वे इस मामले में केंद्र सरकार से राय लेने को कहे. उन्होंने कहा है कि इस मामले में केंद्र सरकार द्वारा मूल्यांकन किया जाए जिससे इस बात पर विचार हो कि कैसे रेवड़ी कल्चर को खत्म करने पर विचार किया जा सके.

क्या है चुनाव आयोग का रुख 

वहीं इस मामले में चुनाव आयोग (Election Commission) ने अपना जवाब भी दाखिल किया है. चुनाव आयोग ने कहा है कि चुनाव से पहले या बाद में मुफ्त उपहार देना राजनीतिक दलों का नीतिगत फैसला है. वे राज्य की नीतियों और पार्टियों की ओर से लिए गए फैसलों को नियंत्रित नहीं कर सकता है. इसके साथ ही आयोग ने यह भी कहा है कि इस तरह की नीतियों का क्या नकारात्मक असर होता है? ये आर्थिक रूप से व्यवहारिक हैं या नहीं? ये फैसला करना वोटरों का काम है.

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आयोग ने अपने हलफनामे में कहा था कि चुनाव से पहले या बाद में किसी भी मुफ्त सेवा की पेशकश/वितरण संबंधित पार्टी का एक नीतिगत निर्णय है और क्या ऐसी नीतियां आर्थिक रूप से व्यवहारिक हैं या राज्य के आर्थिक स्वास्थ्य पर इसका उल्टा असर पड़ता है. इस सवाल पर राज्य के मतदाताओं को विचार कर निर्णय लेना चाहिए लेकिन इस पर आयोग के पास कोई अधिकार नहीं है. 

PM Modi भी कर चुके हैं रेवड़ी कल्चर का विरोध

आपको बता दें कि बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन के दौरान ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने भी मुफ्त की चीजें बांटने वाले दलों और राज्य सरकारों पर हमला बोला था. उनके इस बयान के चलते दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) और बीजेपी (BJP) के बीच काफी तीखी बयानबाज भी हुई थी.

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गौरतलब है कि मुफ्त की मलाई बांटने के इस रेवड़ी कल्चर को लेकर बीजेपी नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी जिसमें चुनाव आयोग से राजनीतिक दलों को इस कल्चर को रोकने के लिए कहा गया है. इस याचिका को लेकर ही सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई हो रही थी. कोर्ट की अगली सुनवाई 3 अगस्त को होगी.

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